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अनमोल चिंतन 1 नवम्बर 2021 : निंदा से विचलित न हों, हर व्यक्ति का होता हैं अपना-अपना दृष्टिकोण एवं स्वभाव

अनमोल चिंतन 1 नवम्बर 2021 : हर व्यक्ति का अपना-अपना दृष्टिकोण एवं स्वभाव है। दूसरों के बारे में कोई अपना कुछ भी अभिमत बना सकता है। जीभ अपनी है, किसी को कुछ भी कहने की छूट है। किस-किस को रोका और किस-किस को समझाया जाए। अच्छा यही है कि उथले लोगों द्वारा कहे गए भले बुरे पर ध्यान न दिया जाए। जितना समय प्रतिवाद में लगाया जाता है उतना यदि अपने को अधिक सतर्क रखने और मनोबल और भी अधिक बढ़ाने में लगाया जाए तो फिर अपनी स्थिति ही इतनी मजबूत हो जाएगी जिसमें निंदा और स्तुति करने वाले निराश वापस लौटने लगें।

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स्मरण रहे निंदक जहाँ हानि पहुँचाने के फेर में रहते हैं, वहाँ प्रशंसकों में से अधिकांश की प्रकृति किसी का गर्व फुलाने और बदले में अनुचित लाभ उठाने की होती है। अतः सतर्क दोनों से ही रहना चाहिए। “सतर्कता” का अर्थ यहाँ “उपेक्षा” भी समझा जा सकता है ।

चाहे कोई हिमालय के समान स्वच्छ क्यों न हो, पर उस पर ऊँचा सिर उठाकर रहने और कठोर घमंडी होने का दोष लगेगा। चाहे कोई समुद्र के समान महान क्यों न हो पर उस पर खारी होने का कलंक लगेगा। मनुष्य के सोचने का तरीका कुछ है ही ऐसा कि वे अपनी तराजू से सबको तोलते हैं। क्षुद्र जनों के लिए इस संसार में महानता है ही नहीं। काला चश्मा पहन लेने पर हर वस्तु काली दिखती है। किसी को किसी रंग का चश्मा पहनने से किस प्रकार रोका जाए।

 

आलेख साभार :
अखण्ड ज्योति सितम्बर १९८३ पृष्ठ६
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य – संस्थापक
अखिल विश्व गायत्री परिवार

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