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फोन से आपकी जेब को हैक कर रहे हैकर, सावधानी ही बचाव का एकमात्र उपाय

न्यूज डेस्क : आज दुनिया ‘ऑनलाइन साइबर’ अपराध और अपराधियों से जूझ रही है। साइबर अपराधी किस हद तक हमें-आपको घातक साबित हो सकते हैं? इस सवाल के जवाब के लिए हाल ही में दुनियाभर के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम पर हुआ ‘साइबर अटैक’ काफी है।

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साइबर अपराधी दांव लगने पर हमारी आपकी जेब खाली करते हैं सो तो करते ही हैं, साथ ही वो हमारी उन तमाम निजी जानकारियों तक में भी घुसपैठ करने में कामयाब हो जाते हैं, जिन्हें हम सिर्फ और सिर्फ खुद की ही पहुंच तक और बेहद निजी समझने की जाने-अनजाने भूल करते हैं।आखिर कैसे हमारे घर में बैठे-बैठे ही खाली हो जाते हैं हमारे बैंक खाते?

साइबर अपराधियों की चाल अगर हमारी किसी कमजोरी के चलते हम पर ही सही बैठ गई, तो वो हमारे-आपके ईमेल, तमाम अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर होने वाली दो लोगों के बीच की ‘चैट’ तक को चंद सेकेंड में अपने कब्जे में ले लेने की ‘खतरनाक आर्ट’ में माहिर हैं. ये साइबर ठग उस हद तक के मास्टरमाइंड हैं कि जहां खुफिया, जांच एजेंसियां तक खुद को इनके सामने असहाय महसूस करने लगी हैं।हाल ही में फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम पर हुआ साइबर हमला इसका पुख्ता उदाहरण है।

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FBI भी अब तक खाली हाथ

FBI भी मगर अभी तक तो फेसबुक पर हुए साइबर हमले की इस पड़ताल जहां से शुरू हुई वहीं खड़ी नजर आ रही है। यही वजह है कि उस घटना से सबक लेने वाला ब्रिटेन सा अग्रणी देश अब अपने सिस्टम को वैसे साइबर हमलों से बचाने के लिए सालाना सबसे ज्यादा (बाकी अन्य तमाम मदों से ज्यादा) या कहिए मोटा बजट निर्धारित करता है।

बात जहां तक 4 अक्टूबर 2021 को रात 9 से 10 बजे के बीच फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर हुए साइबर अटैक की है तो उसके अगले दिन तड़के (5 अक्टूबर 2021 तड़के करीब 4 बजकर 15 मिनट तक लगभग 7 घंटे) तक उसकी तीनों ही सोशल नेटवर्क की सेवाएं पूरी तरह से ध्वस्त रहीं। फेसबुक जैसी दुनिया की नामी-गिरामी अमेरिकी कंपनी को पहली बार किसी साइबर हमले में इतनी बड़ी आर्थिक चपत और साइबर अपराधियों से इस हद का जोखिमपूर्ण झटका लगा है।

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दांव पर लगे फेसबुक के सुरक्षा इंतजाम

मीडिया खबरों के मुताबिक साइबर अटैक के दौरान फेसबुक मुख्यालय के दरवाजे खुद-ब-खुद ही ‘लॉक’ हो गए।कैलिफोर्निया स्थित मुख्यालय के अंदर मौजूद कर्मचारी अंदर ही बंद हो गए।बाहर मौजूद कर्मचारियों ने जब इलैक्ट्रॉनिक एक्सिस डोर कार्ड (चिप वाले कार्ड) से दरवाजों को खोलने की कोशिश की तो वो दरवाजे खुले ही नहीं। मतलब हैकर्स या कहिए ऑनलाइन साइबर अपराधियों ने 6-7 घंटों में संस्थान को मोटी आर्थिक चपत लगाई सो लगाई।

ऐसे खाली होते हैं हमारे बैंक खाते

हाल ही में कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें साइबर अपराधी आमजन को मोबाइल कॉल करने के समय बताते हैं कि वो मोबाइल टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारी हैं।इसके बाद KYC अपडेट कराने के नाम पर आम-जनता से उनकी बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।

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ऑनलाइन साइबर ठगी में जुटे ये अपराधी कई app डाउनलोड कराकर पीड़ित के मोबाइल फोन एवं नेट बैंकिंग का एक्सेस हथियाकर लाखों रुपए की धोखाधड़ी को अंजाम दे देते हैं।ऐसे मामलों में पीड़ित को अपने घर से बाहर कदम तक रखने की जरूरत नहीं होती है।वो घर बैठे ही साइबर अपराधियों की ओर से ठग लिया जाता है।

घर बैठे-बैठे गंवा दिए 21 लाख रुपए

हाल ही में एक पीड़ित प्रमोद कुमार निवासी बसंत विहार देहरादून को साइबर अपराधियों की ओर से बीएसएनएल मोबाइल सिम KYC अपडेट कराने के नाम पर ‘Any Desk App’ डाउनलोड करा दिया गया।उसके बाद मोबाइल एवं नेट-बैंकिंग का एक्सेस प्राप्त कर साइबर अपराधियों ने चंद सेकेंड में उनके बैंक खाते से लगभग 21 लाख (इक्कीस लाख) रुपए गायब कर दिए।

इस मुकदमे की पड़ताल फिलहाल साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर देवेंद्र नबियाल के नेतृत्व में गठित साइबर थाना और उत्तराखंड एसटीएफ की टीम (सब इंस्पेक्टर आशीष गुसाईं, तकनीकी हेड कांस्टेबल मुकेश चंद, सिपाही नितिन रमोला और पवन कुमार) के हवाले की गई।

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जांच में पता चला कि साइबर अपराधियों की ओर से प्रयोग सिम कार्ड झारखंड, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के फर्जी पतों पर लिए गए थे, जबकि इन सिम कार्ड का प्रयोग झारखंड के जमतारा (जामतारा) इलाके में बैठकर प्रयोग किए जाने की बात पता चली।अपराधियों की ओर से पीड़ित से ऑनलाइन ठगी गई रकम छत्तीसगढ़, उड़ीसा आदि राज्यों के बैंक खातों में जमा मिली। ऑनलाइन ठगी का मास्टरमाइंड झारखंड के गिरीडीह जिले का निवासी (कठवाड़ा क्षेत्र) अमन मंडल निकला, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया।

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