संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद जारी, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

Parliament House Inauguration: संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुल 40 पार्टियों में से कांग्रेस समेत 20 विपक्षी पार्टियों ने इसके बहिष्कार का ऐलान किया है। इधर, भाजपा समेत 17 पार्टियों ने सरकार के न्योते को स्वीकार कर लिया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति से नई संसद का उद्घाटन कराने का निर्देश देने वाली याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।

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विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री से इसका उद्घाटन कराने का फैसला न सिर्फ गंभीर अपमान है, बल्कि ये लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। बुधवार को विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया कि इस सरकार में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है। ऐसे में नए भवन का कोई मतलब नहीं है। भाजपा समेत 18 पार्टियां उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी। (Parliament House Inauguration)

उद्घाटन समारोह में शामिल होने वालों में BJP, शिवसेना (शिंदे गुट), शिरोमणी अकाली दल, बसपा, NPP, NDPP, SKM, JJP, RLJP, RP (अठावले), अपना दल (एस), तमिल मनीला कांग्रेस, AIADMK, BJD, तेलुगूदेशम पार्टी, YSR कांग्रेस, IMKMK और AJSU MNF शामिल है। इन पार्टियों के लोकसभा में 60.82% (सदस्य 328) और राज्यसभा में 42.86% (102 सदस्य) प्रतिनिधित्व हैं। वहीं 20 पार्टियां उद्घाटन समारोह का विरोध कर रही है। (Parliament House Inauguration)

विरोध करने वालों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, DMK, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट), समाजवादी पार्टी, राजद, CPI, JMM, केरल कांग्रेस (मणि), VCK, रालोद, राकांपा, JDU, CPI (M), IUML, नेशनल कॉन्फ्रेंस, RSP, AIMIM और MDMK शामिल है। विरोध करने वाले दलों का लोकसभा में 26.38% (कुल 143 सदस्य) और राज्यसभा में 38.23% (91 सदस्य) प्रतिनिधित्व है। नए संसद भवन में 28 मई यानी रविवार सुबह हवन के साथ पूजा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12 बजे भवन का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर संसद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमयोगियों का सम्मान भी किया जाएगा।

PM मोदी 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास पवित्र सेंगोल यानी राजदंड स्थापित करेंगे। अंग्रेजों की तरफ से 14 अगस्त 1947 की रात इसे पंडित जवाहर लाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था। 1960 से पहले ये आनंद भवन और फिर 1978 से इलाहाबाद म्यूजियम में रखा था। अब 75 साल बाद राजदंड का संसद में प्रवेश होगा। 

वहीं संसद विवाद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में बयानबाजी लगातार जारी है। कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने कहा कि कल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का इनॉग्रेशन किया। ये एक व्यक्ति के अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा है, जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है। (Parliament House Inauguration)

पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जहां तक नया संसद भवन बनाने की बात है तो ये नई बात नहीं है। ये 32 साल पहले कांग्रेस की ही सोच थी। अब कोई इसका बहिष्कार करता है या उद्घाटन समारोह में नहीं जाता है तो इस पर उन्हें कोई टिप्पणी नहीं करनी है। नए भवन का निर्माण जरूरी था और ये अच्छा है कि अब यह बन गया है। UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नई संसद पर बयानबाजी करना गलत है। विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है। ये गैरजिम्मेदार रवैया है।  

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