हवाई यात्रियों के लिए खुशखबरी, रायपुर एयरपोर्ट से दुर्ग तक फिर शुरू हुई सिटी बस सेवा

Airport City Bus Service: स्वामी विवेकांनद एयरपोर्ट माना से दुर्ग तक जाने वाली पूरी तरह एयर कंडीशनर सिटी बस का शुभारंभ किया गया है। सुबह 10.15 बजे स्वामी विवेकानंद विमानपत्तन परिसर से इस बस को रवाना किया गया। शासन की पहल से अब दुर्ग से रायपुर और एयरपोर्ट माना तक आने-जाने के लिए लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो गई है। ये बस नवा रायपुर स्थित स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से तेलीबंधा, पचपेड़ी नाका, भाठागांव, टाटीबंध, पावर हाउस, नेहरू नगर होते हुए दुर्ग शहर तक चलेगी।

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बस स्वामी विवेकानंद विमानपत्तन परिसर से सुबह 8.30, 10.15, दोपहर 2.30 और शाम 6.30 बजे छूटेगी। इसी प्रकार पूरी तरह एयरकंडीशनर यह बस दुर्ग से सुपेला, पावर हाउस, भिलाई-3, टाटीबंध, तेलीबंधा होते हुए एयरपोर्ट पहुंचेगी। दुर्ग से यह बस सुबह 7.50 बजे, 11.15, दोपहर 12.50 बजे, और शाम 4.45 बजे छूटेगी। इस बस का एयरपोर्ट से रायपुर सिटी का किराया 40 रुपए और एयरपोर्ट से दुर्ग तक का किराया 100 रूपया निर्धारित है। (Airport City Bus Service)

 

इधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घोषणा के अनुरूप कोरबा जिले के सतरेंगा क्षेत्र के मछुआ समिति को केज उपलब्ध कराया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब इस क्षेत्र के ग्राम-सतरेंगा आए तो उन्होंने मात्स्यिकी समूहों की आवश्यकताओं को समझा और मछुआ समूहों को 1000 नग केज उपलब्ध कराने की घोषणा की। बांगों सिंचाई जलाशय अंतर्गत डूबान क्षेत्र के विस्थापित मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों को कुछ साल पहले तक मत्स्य पालन में आमदनी के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती थी। इससे उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। (Airport City Bus Service)

केज उपलब्ध होने से क्षेत्र के मत्स्य पालन से जुड़े मछुआरों के जीवन में अब परिवर्तन आने लगा है। पारंपरिक तरीकों से मत्स्य पालन करने वाले मछुआरों को आधुनिक पद्धति से मछली पालन करने सामग्री उपलब्ध कराने पर न सिर्फ मछली उत्पादन में वृद्धि हुई है, अपितु उनकी आमदनी में भी इजाफा हुआ है। मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद जिला खनिज संस्थान न्यास कोरबा और विभागीय सहयोग से बांगों सिंचाई जलाशय के ग्राम-सतरेंगा में 100 नग, ग्राम-गढ़उपरोड़ा में 100 नग और निउमकछार में 800 नग केज स्थापना का कार्य पूर्ण किया गया। (Airport City Bus Service)

बांगों सिंचाई जलाशय के आस-पास के विस्थापित मछुआ सहकारी समिति के 200 सदस्यों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मत्स्य पालन के व्यवसाय से जोड़ा गया। परिणामस्वरूप मछुआ समूहों की आमदनी पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ गई है और वे आत्मनिर्भरता की राह में आगे बढ़ रहे हैं। मत्स्य विभाग द्वारा बताया गया कि केज कल्चर एक ऐसी तकनीक है, जिसमें एक जगह होती है, जो आसपास के जल स्रोत जैसे तालाब झील इत्यादि के साथ पानी के मुक्त आदान-प्रदान को बनाए रखती है, जिसमें मछलियों को ऊंगली के आकार से बिकने के आकार में पाला जाता है। इस क्षेत्र के 200 हितग्राहियों में प्रत्येक हितग्राही को 5.5 नग केज आबंटित किया गया है। (Airport City Bus Service)

प्रत्येक केज में 5 हजार नग तिलापिया मोनोसेक्स और पंगेशियस मत्स्य बीज संचित कर मत्स्य उत्पादन किया जा रहा है। प्रत्येक केज से लगभग 2000 किलोग्राम मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। साल 2022-23 में प्रत्येक हितग्राही को आवंटित केज से 87 हजार रुपए की आय प्राप्त हुई। प्राप्त आय को हितग्राहियों द्वारा मकान की मरम्मत का कार्य, बच्चों के अध्ययन में और दैनिक उपयोग की सामग्री क्रय करने में व्यय किया जा रहा है। इस योजना से 200 सदस्य और 800 पारिवारिक सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं। केज कल्चर से हितग्राहियों के आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। हितग्राही कृषि के साथ मत्स्य पालन का व्यवसाय कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं और उन्हें प्रोटीन युक्त आहार की प्राप्ति हो रही है। उनके आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है। (Airport City Bus Service)

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