सनातन धर्म पर फिर उठाए गए सवाल, कर्नाटक के लेखक ने भगवान राम पर की आपत्तिजनक टिप्पणी

Sanatan Dharma Per Prahar: देश में सनातन धर्म और राम के नाम पर हर तरफ से चोट देने की कोशिशें हो रही हैं। सवाल उठाने वालों में दक्षिण भारत से रिटायर्ड प्रोफेसर से लेकर मध्य भारत के बड़े नेता तक शामिल हैं। पहले ही बागेश्वर धाम सरकार को चुनौती और दरबार में चमत्कार को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। इसी बीच सनातन पर प्रहार को लेकर एक और बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ है।

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दरअसल, एक रिटायर्ड प्रोफेसर और लेखक केएस भगवान ने कर्नाटक के मंड्या में भगवान श्रीराम को लेकर सवाल उठाया है कि उन्हें कैसे आदर्श माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि राम राज्य बनाने की बात चल रही है। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड को पढ़ने से पता चलता है कि भगवान राम आदर्श नहीं थे। उन्होंने 11 हजार सालों तक शासन नहीं किया। बल्कि सिर्फ 11 सालों तक शासन किया। (Sanatan Dharma Per Prahar)

केएस भगवान ने आगे कहा कि राम दोपहर में सीता के साथ बैठते थे और पूरे दिन पीते थे। उन्होंने बिना परवाह किए अपनी पत्नी सीता को जंगल में भेज दिया। एक पेड़ के नीचे तपस्या कर रहे शूद्र शंबूक का सिर काट दिया। वे कैसे आदर्श हो सकते हैं। केएस भगवान के इस बयान के बाद संत समाज बहुत आक्रोशित है। संत समाज ने कर्नाटक सरकार को एक्शन लेने की सीधी चेतावनी दी है। साथ ही प्रोफेसर को शास्त्रार्थ की चुनौती भी दी है। (Sanatan Dharma Per Prahar)

रामचरित मानस की पुस्तक पर पाबंदी लगाने की मांग

वहीं वाल्मीकि रामायण के साथ-साथ चर्चा में रामचरित मानस भी अचानक से आ गया। BJP से समाजवादी पार्टी में गए स्वामी प्रसाद मौर्य ने मानस को लेकर कहा कि इसमें बहुत से तथ्य ऐसे हैं, जिन्हें हटाए जाने की जरूरत है और इस पुस्तक पर पाबंदी लगाई जाए। स्वाभाविक है कि आक्रोश इसे लेकर भी भड़का हुआ है। अचानक से देश के अलग-अलग हिस्सों से आस्था पर आघात और बयानबाजी का जो सिलसिला चल पड़ा है, उसे देखते हुए इसके जल्दी थमने के आसार नजर तो नहीं आ रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि ये लंबा चलेगा। (Sanatan Dharma Per Prahar)

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