Chhattisgarh : गौरैया पक्षी को संरक्षित करने मोहन साहू कर रहे हर संभव प्रयास
गणेश साहू संवाददाता अनमोल न्यूज 24 कुरुद : धमतरी जिले के कुरूद से 8 किमी दूर स्थित ग्राम मंदरौद के युवक 24 वर्षीय मोहन साहू पिता आंनदराम साहू विलुप्त हो रहे गौरेया पक्षी को सरंक्षित करने का हर संभव प्रयास कर रहे है। विलुप्ति के कगार पर पहुँच चुके इन पक्षियों को भीषण गर्मी में बचाने के साथ साथ अन्य मौसमों बरसात, ठण्ड से भी बचाने के लिए 6 साल से स्वयं के खर्चे से आशियाने बना कर अपने गाँव व आस पास 20 गाव में बांट चुके है अभी तक के मोहन साहू ने 2500 से अधिक लकड़ी के घोसले तथा 600 नग से अधिक टिन के पात्र बनाकर लोगो को बाँट दिये है साथ ही साथ स्वयं अपने गांव के खेल मैदान, मुक्तिधाम, मंदिरों, अस्पतालों, स्कुलो आदि स्थानों पर लगाए है जिसमे कई सारे घोसलों में गौरेया पक्षी ने अपना बसेरा बना लिया है और घोसलों में अंडे से चूजे भी निकल गए है। लकड़ी के घोसले जो काफी आकर्षक दिखते है जिसमे गौरेया जल्द से जल्द आकर्षित होकर अपना बसेरा बना लेते है।
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मोहन साहू ने बताया कि अपने गांव के आस पास सेलदिप, जोरातराई, सिन्धौरीकला, सिन्धौरीखुर्द, बानगर, परसवानी, मेघा, अरौद, उमरदा, गाडाडीह, कमरौद, कुरूद, धमतरी, सिवनी, कुरूद कालेज, कातलबोड़ आदि गांव में निशुल्क इन घोसले को बाँट दिए है। उन्होंने पक्षियों के लिए दाना- चावल भी दिए है। लकड़ी के बने घोसले गौरेया पक्षियों के लिए काफी कारगर साबित हुआ है। जिसमे घोसले का बाहरी भाग डिब्बा लगा हुआ है जिसमे दाना- पानी डालने का कार्य किया जाता है और लकड़ी के घोसलों जो मोबाइल टावरो से निकलने वाले रेडिएशन को अन्दर प्रवेश नहीं करने देते जिससे गौरेया अपना अंडा देकर आसानी से चूजे पैदा कर लेते है। साथ हि साथ कुछ- कुछ जगहों पर लोहा का एंगल लगाकर घोसला लगाया गया है जिसमे गौरेया का चहल पहल, चहकती – फुदकती नज़र आती है और मोहन ने जो टीन के पात्र बनाये है जो चारो दिशाओ को काटकर बनाये है जिसमे चारो खानों में अलग – अलग प्रकार के दाने जिसमे गौरेया पक्षी के साथ अन्य पक्षी अपना भोजन ग्रहण कर सकते है और टीन के पात्र में बीचो बिच पानी भरा रहता है जिससे आसानी से अपना प्यास बुझा सकते है।
मोहन साहू ने बताया कि जहा – जहा घोसला लगाया है वहा-वहा गौरेया पक्षी अपना बसेरा कर लिया है अब तक उस घोसलों से 500 से अधिक अंडे से चूजे निकल गए है।
गौरेया पक्षी की 6 प्रजातीया
गौरेया पक्षी की 6 प्रजातिया है गौरेया का वैज्ञानिक नाम पैसर डोमेस्टिक है अंग्रेजी में स्पैरो कहते है भारत में इसे कई नामो से जानते है, गौरैया की प्रजातीय पाई जाती है ये है हॉउस स्पैरो , स्पेनिस स्पैरो सिंड स्पैरो डैड सी स्पैरो और डी स्पैरो , इनमे से हाउस स्पैरो ही घरो में चहकती फुदकती है।
गौरैया पक्षी की प्रजाति पर कई कारणों से है संकट
पक्षी विशेषज्ञों का कहना है की गौरैया के लापता होने के कई कारन है इसमें मोबाइल टॉवर प्रमुख है, मोबाइल टॉवर 900 से 1800 mh की आवृत्ति उत्सर्जित करते है इससे निकलें वाली विद्युत चुम्बकीय विकिरण से गौरैया का नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है इस वजह से भी गौरिया पक्षी की प्रजाति पर संकट गहरा गया है यदि इन पक्षी को संरक्षित नहीं किया गया तो विलुप्त हो जायेंगे पक्षियों को संरक्षित करने हर साल 20 मार्च गौरैया संरक्षण दिवस मनाया जाता है। (Chhattisgarh)
पक्षी अपना कुनबा बचा कर कर रहे जद्दोजहद
गौरतलब है की अब घरो के आस पास गौरेया की मधुर ची- ची की आवाज भी सुनने को नहीं मिल रही क्यूंकि गाव- शहर में कांक्रीट के मकान और मोबाइल टावर से निकलने वाली तरंगे गौरैया चिड़िया एवं अन्य पक्षियों के अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे है ये पक्षी अपना कुनबा बचने के लिए जदोजहद कर रहे है विलुप्त हो रहे इन पक्षियों के संरक्षण के लिए हमें आगे आकर पहल करने की जरुरत है।
मोहन साहू हुए सम्मानित
मोहन साहू पक्षी संरक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किये उसके लिए उसको ग्लोबल स्कालर्स फाउंडेशन पुणे के द्वारा समाज भूषण का अवार्ड से सम्म्मानित भी किया गया है एंव समाज गौरव समिति रायपुर द्वारा प्रसंसा प्रमाण पत्र दे कर मोहन साहू को सम्मानित किया गया है। (Chhattisgarh)