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17 सितम्बर 2021 : सृजन के देवता विश्वकर्मा जयंती, जानिए कैसे करें भगवान को प्रसन्न, होंगी पूरी मनोकामना

अनमोल न्यूज 24

17 सिंतबर यानी शुक्रवार को निर्माण के देवता विश्वकर्मा की जयंती है। इस दिन भगवान की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर हैं। हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता और शिल्पकार माना जाता है। इन्हें यंत्रों का देवता कहा जाता है। विश्वकर्मा, ब्रह्मा के 7वें पुत्र हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक़, ब्रह्मा जी के निर्देशानुसार विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक और लंका आदि राजधानियों का निर्माण किया था।

हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जयंती का पर्व कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। विश्वकर्मा पूजा इस साल 17 सितंबर को अर्थात कल है।

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पंचांग के अनुसार, पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 6:07 बजे से लेकर 18 सितंबर शनिवार को दोपहर 3:36 बजे तक है। ध्यान रहे कि 17 सितंबर को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक राहुकाल रहेगा। इस दौरान विश्वकर्मा पूजा न करें।

जानें कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

धार्मिक मान्यताओं अनुसार, संसार की रचना ब्रह्मा जी ने की है और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को दिया गया है। यही वजह है कि भगवान विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तु की संतान थे।

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वहीं ये भी माना जाता है कि भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र और यमराज के कालदंड, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, रावण की लंका, इंद्र के लिए वज्र समेत कई चीजों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजन विधि
  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं।
  • स्नान कर विश्वकर्मा पूजा की सामग्रियों को एकत्रित कर लें।
  • परिवार के साथ इस पूजा को शुरू करें।
  • अगर पति-पत्नी इस पूजा को एक साथ करते हैं तो और भी अच्छा है।
  • पूजा के हाथ में चावल लें और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान लगायें।
  • इस बीच भगवान विश्वकर्मा को सफेद फूल अर्पित करें।
  • इसके बाद धूप, दीप, पुष्प अर्पित करते हुए हवन कुंड में आहुति दें।
  • इस दौरान अपनी मशीनों और औजारों की भी पूजा करें।
  • फिर भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाकर प्रसाद सभी को बांट दें।

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