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श्राद्ध (पितर)पक्ष : तिथि षष्ठी, सप्तमी को लेकर मतभेद, शास्त्रों के नियमानुसार यह हैं श्राद्ध तिथि, पढ़ें पूरी खबर

श्राद्ध (पितर) पक्ष : वर्तमान में अनेक कैलेंडर एवं पंचांग प्रकाशित होने लगे हैं। विभिन्न पंचांग एवं कैलेंडर में अलग-अलग श्राद्ध तिथियों वर्णित हैं। निश्चित रूप से इनमें से एक कथन त्रुटिपूर्ण या शास्त्रोक्त नहीं है किसी स्थान पर षष्ठी श्राद्ध 2 दिन। सप्तमी श्राद्ध 2 दिन। षष्ठी, सप्तमी श्राद्ध के विषय में मत अंतर है। इस जटिलता एवं दुविधा की स्थिति के निराकरण के लिए मुहूर्त मर्मज्ञ एवं ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी एवं अनुष्ठान  विशेषज्ञ पंडित दिलीप शास्त्री से चर्चा के उपरांत जनहित मे वास्तविक यथार्थ श्राद्ध तिथि शास्त्रोक्त निर्णय के अनुसार उपलब्ध कराई जा रही है :-

  • पंचमी श्राद्ध 25 तारीख को।
  • षष्ठी का  श्राद्ध 26 तारीख को।
  • सप्तमी तिथि का श्राद्ध 28 तारीख को शास्त्रों के नियमानुसार किया जाना चाहिए।

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वार्षिक श्राद्ध अश्वनी कृष्ण पक्ष अति महत्वपूर्ण पितरों को तृप्त करने का अमूल्य सर्वाधिक प्रभावशाली समय होता है। किसी भी कार्य को करने के लिए सही समय एवं दिन का चुनना अति आवश्यक है। धर्म का एक पक्ष है कि धर्म के अनुयायियों को क्या-क्या कार्य अपने हित में करना चाहिए ? कोई भी कार्य किस समय किया जाए यह निर्धारित होता है ज्योतिष की गणना के आधार पर, जिससे किए जाने वाले कार्य का संपूर्ण फल प्राप्त हो।

श्राद्ध तिथि के लिए किस दिनांक को श्राद्ध की तिथि है इसके निर्धारण में उदय व्यापिनी तिथि का कोई महत्व नहीं होता है।
अभी वर्तमान में चल रहे पार्वण श्राद्ध के लिए कुछ नियम हैं :-
(संदर्भ ग्रंथ धर्मसिंधु एवं निर्णय सिंधु)
पहला नियम है : यह कि, दिन के चतुर्थ भाग में (अर्थात दिनमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक जितने घंटे होंगे उसको 5 भाग करने के पश्चात जो चौथा भाग होगा उस समय जो तिथि होगी वही श्राद्ध के लिए उचित तिथि मानी जाएगी)।

दूसरा नियम है : यह कि, कि दिनमान के 15 भाग करने के बाद 8 में भाग से श्राद्ध प्रारंभ कर 12वे भागके समय मे श्राद्ध तक पूर्ण करना चाहिए।
उक्त दोनों नियम के अनुपालन में गणना सूर्योदय 13 बजे  मानते हुए की गई है। अधिक शुद्धता के लिए पंडित जन अपने शहर के सूर्योदय काल के अनुसार गणना कर सकते हैं (तथापि आसाम का क्षेत्र छोड़कर )भारत के अधिकांश क्षेत्र में निम्न श्राद्ध तिथि निर्धारण गणना ही लागू होगी। दिनमान पांच भाग मे चतुर्थ काल के समय तिथि पहले नियम के अनुसार (25 से 28 सितम्बर तक) दिन का चतुर्थ भाग लगभग 13:24 बजे से 15:35 बजे तक अपराहन तक चतुर्थ काल होगा। दिनमान के 15 मुहूर्त करने पर आठवें मुहूर्त से 12 मुहूर्त
दूसरे नियम के अनुसार 8 वे से 12वा मुहूर्त (25 से 28 तारीख के मध्य) लगभग 12:37बजे से 15:49 बजे तक होगा।

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तीसरा नियम है : यह कि, श्राद्ध आठवें मुहूर्त में प्रारंभ किया जाना आवश्यक है, अर्थात उस समय श्राद्ध योग्य तिथि होना चाहिए।

25 सितंबर से 28 सितंबर के मध्य आठवां मुहूर्त 12:35 से 13:25 तक रहेगा। इन नियमों के अनुसार दिनांक 25 को पंचमी श्राद्ध होगा।  क्योंकि 10:36 32 सेकंड से 25 सितंबर को पंचमी तिथि लगी है। अर्थात अपराह्न काल में 12:37 से 15:54 तक पंचमी तिथि होने के कारण पंचमी श्राद्ध होगा।

26 तारीख को पंचमी संपूर्ण अपराह्न काल में नहीं है केवल 13:05 4 सेकंड तक है। जबकि षष्ठी तिथि 13:05 :05
सेकंड से प्रारंभ होकर सूर्यास्त तक है अर्थात अपराहन काल के लिए समय 13:25 से 15:36 तक षष्ठी तिथि है।
इसलिए एवं आठवें मुहूर्त से 12 वे मुहूर्त तक अर्थात 12:37 से 49 तक षष्ठी तिथि उपलब्ध  है।

षष्ठी तिथि का प्रारंभ 13:05 :05 सेकंड से प्रारंभ हो रहा है एवं सूर्यास्त तक अर्थात 15:36 तक षष्ठी तिथि रहेगी। इसलिए 26 तारीख को षष्ठी तिथि का श्राद्ध दूसरे नियम से भी लागू होता है 12:37 से लेकर 13 :15बजे तक आठवां मुहूर्त होगा जिसमें श्राद्ध प्रारंभ किया जा सकता है। क्योकि आठवां मुहूर्त काल समाप्त होने के पूर्व तिथि प्रारंभ हो चुकी है 13:05:05 बजे से षष्ठी तिथि प्रारंभ हो चुकी है।

27 सितंबर को षष्ठी तिथि का उक्त नियमों से श्राद्ध किया जा सकता है, क्योंकि षष्ठी तिथि 15:45 36 सेकंड तक उपलब्ध है। जबकि चतुर्थ काल 13:25 से 15:36 तक है एवं श्राद्ध का समय 12:37 से 15:49 तक है अर्थात 27 तारीख को षष्ठी तिथि  श्राद्ध की ली जा सकती है परंतु ग्रंथों के अनुसार पूर्व दिन की तिथि को ग्रहण करना चाहिए अर्थात 26 तारीख से श्राद्ध के लिए अधिक उपयुक्त है।

27 तारीख को सप्तमी तिथि का प्रारंभ क्योंकि 15 :43:37बजे से हो रहा है इसका अर्थ है कि नियम श्राद्ध चतुर्थ काल मे लागू नहीं होता ।श्राद्ध के लिए निर्धारित समय भी 15 :43:37 से पूर्व समाप्त हो जाता है। इस प्रकार 27 सितंबर को कोई भी श्राद्ध उचित नहीं है।

28 तारीख को सप्तमी तिथि 18 :17:0 6:बजे तक है अर्थात 28 तारीख को सप्तमी श्राद्ध  के लिए नियम प्रथम एवं द्वितीय दोनों लागू होते हैं। सप्तमी का साथ 28 तारीख को किया जाना शास्त्र विहित है।

आलेख : पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी – ज्योतिषाचार्य

पंडित वी. के. तिवारी

(श्राद्ध (पितर) पक्ष पर केंद्रित यह – पांचवीं खबर हैं।)

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