शिक्षाविद् व लेखक समाज में ला सकते हैं क्रांति: राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन

रायपुर : छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन  (Governor Vishwabhushan Harichandan) गत दिवस एमबीसी टीवी द्वारा भुवनेश्वर में आयोजित शिक्षा सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते हुए कहा कि शिक्षा समाज और देश को समृद्ध और प्रगतिशील बनाती है। जब शिक्षा मजबूत होती है तो समाज विकास की दिशा में आगे बढ़ता है और मजबूत होता है। हर व्यक्ति को अपनी शिक्षा के लिए, अपने समाज के लिए, अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। यह सीख अपनी माटी और मां के लिए लड़ने की प्रेरणा देती है। इस क्षेत्र में शिक्षाविदों एवं लेखकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब वे समाज में गिरावट या मानव अधिकारों का उल्लंघन देखते थे, तो वे अपने लेखन के माध्यम से क्रांति पैदा कर सकते थे।

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शिक्षा केवल वह नहीं है जो हमें पाठ्यपुस्तकों से मिलती है बल्कि हम अपने अनुभवों से, जीवन से, समाज से, खुद से, दूसरों से आदि से सीखते हैं। महात्मा गांधी ने शिक्षा की तुलना जीवन से की और कहा, ‘जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं है, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, जो शिक्षा की चिंता को व्यक्त नहीं कर सकता‘।

शिक्षा जन्म से शुरू होती है और जीवन भर चलती रहती है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए मनुष्य दूसरों पर निर्भर रहता है। यह प्रकृति, इतिहास, ऋषि-मुनि, संत, पर्यावरणीय परिस्थितियाँ हो सकती हैं। जिस देश की शिक्षा व्यवस्था जितनी मजबूत होती है, वह देश उतना ही मजबूत और विकसित होता है।

2020 में भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नई शिक्षा नीति 2020 पेश की, जो एक क्रांतिकारी कदम है। यह शिक्षा नीति देश को समृद्ध और मजबूत बनाने में मदद करेगी। नया पाठ्यक्रम भाषा, संस्कृति, देशभक्ति, ज्ञान विकास, पूछताछ और मूल्यों पर जोर देता है। राज्यपाल (Governor Vishwabhushan Harichandan) ने कहा कि यह शिक्षा नीति मनुष्य के सामाजिक, आर्थिक, नैतिक, धार्मिक, बहुभाषी, मानसिक, चारित्रिक आदि गुणों में सुधार करेगी।

कोरोना के दौरान भारत ने दुनिया भर में कोरोना की महामारी से लड़ने में अग्रणी भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारतीय वैज्ञानिकों के शोध से बनी कोविड वैक्सीन देश के 140 करोड़ लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफल रही। इतना ही नहीं, इस वैक्सीन को दुनिया के कई देशों में मुफ्त भेजकर लोगों को इस महामारी से बचाया जा सकता है। राज्यपाल हरिचंदन ने अपने भाषण में कहा कि इस जनगणना ने भारत के अरबों आम लोगों को कोरोना के आतंक से बचाया है और दुनिया में देश का सम्मान बढ़ाया है।

शिक्षा मानव व्यवहार को बदल देती है। उक्त कार्य आमतौर पर साहित्यकारों एवं शिक्षाविदों द्वारा किया जाता है। लेखक और शिक्षाविद् अपने अध्ययन से जागरूकता पैदा करते हैं और समाज में क्रांति ला सकते हैं। हमारी शिक्षा सत्य, शांति, अहिंसा, दान, देशभक्ति, पारिवारिक संहिता के मूल्यों में समानता को कायम रखती है। यह पर्यावरण और लोगों को बेहतर रास्ते अपनाने के लिए प्रेरित करता है। राज्यपाल ने उक्त उद्गार भुवनेश्वर में स्थानीय टीवी चौनल द्वारा आयोजित एक शैक्षिक सभा में व्यक्त किए।

कार्यक्रम में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन (Governor Vishwabhushan Harichandan), न्यूज ग्रुप के अध्यक्ष एवं विधायक सौम्यरंजन पटनायक, उत्कल विश्वविद्यालय की चांसलर सविता आचार्य सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल हुए. बैठक की अध्यक्षता बद्रीनाथ पटनायक ने की एवं डॉ. धन्यवाद ज्ञापन अशोक पांडा ने किया।

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