थोक महंगाई दर में लगातार गिरावट दर्ज, अक्टूबर में घटकर हुई 0.52 प्रतिशत

India Wholesale Inflation Rate: भारत में थोक महंगाई दर घटकर अक्टूबर में 0.52 प्रतिशत हो गई है। लगातार 7वें महीने होलसेल प्राइस इंडेक्स यानी WPI में गिरावट दर्ज की गई है। खाने-पीने के सामानों में गिरावट के बीच थोक महंगाई दर घटी है। ये लगातार सातवां महीना है जब थोक महंगाई शून्य से नीचे रही है। इससे पहले सितंबर में थोक महंगाई -0.26% थी। वहीं अगस्त में यह -0.52% थी। पिछले साल अक्टूबर में ये 8.39% थी। सरकार हर महीने होलसेल प्राइस इंडेक्स यानी WPI के आंकड़े जारी करती है। इससे पहले 13 अक्टूबर को रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI के बास्केट में लगभग आधी हिस्सेदारी खाने-पीने की चीजों की होती है।

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भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक रिटेल महंगाई भी 5 महीने के निचले स्तर 4.87% पर रही थी। अक्टूबर में खाद्य महंगाई दर सितंबर के मुकाबले 1.54% से घटकर 1.07% रही है। रोजाना जरूरत के सामानों की महंगाई दर 3.70% से घटकर 1.82% रही है। ईंधन और बिजली की थोक महंगाई दर -3.55% से बढ़कर -2.47% रही है। मेन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर -1.34% से बढ़कर -1.13% रही है। महंगाई में आई गिरावट को लेकर जानकारों का कहना है कि ये अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। सप्लाई चेन में सुधार और कमोडिटी की कीमत में राहत का भी फायदा मिला है। (India Wholesale Inflation Rate)

जानिए क्या होता है CPI

हम एक ग्राहक के तौर पर रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है। महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। (India Wholesale Inflation Rate)

ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की बढ़ेगी डिमांड

अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई पर अर्जुन की नजर बनाए रखने की जरूरत को दोहराया था। उन्होंने कहा था कि महंगाई अभी भी 4% के टारगेट से ऊपर बनी हुई है। RBI के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना है। अब देखना होगा कि आगे महंगाई दर बढ़ती है या घटती है।

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