Hijab Verdict : कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, याचिका खारिज कर कहा- ‘इस्लाम में हिजाब जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं’

Hijab Verdict : हिजाब विवाद पर एक बड़ा फैसला लेते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय की 3 न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को कहा कि ‘हिजाब इस्लाम की एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है’। याचिका को खारिज करते हुए, एचसी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान द्वारा लगाए गए ‘(स्कूल / कॉलेज) वर्दी एक उचित प्रतिबंध है’। बता दें कि कुंडापुरा कॉलेज के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने वाली छह छात्राओं ने मामले को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया था।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “पहला सवाल यह है कि क्या हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है और अनुच्छेद 25 के तहत इसकी गारंटी है। एक और सवाल यह है कि क्या सरकार मनमानी है और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करती है।” याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि एचसी के अंतरिम आदेश द्वारा ‘मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों’ को कम किया जा रहा था, जिसने सभी छात्रों को कक्षाओं के भीतर हिजाब, भगवा शॉल, झंडे नहीं पहनने पर रोक लगा दी थी।

जवाब में, एचसी ने कहा, “हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। वर्दी एक उचित प्रतिबंध है। हमारा विचार है कि रिट याचिकाओं में कोई मामला नहीं बनता है”। यह भी कहा गया है कि सरकार को ड्रेस कोड पर ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार है, ‘इसके अमान्यकरण के लिए कोई मामला नहीं बनाया गया’।

HC का अंतरिम आदेश

अपने अंतरिम आदेश में, कर्नाटक HC ने देखा, “क्या संवैधानिक गारंटी के आलोक में कक्षा में हिजाब पहनना इस्लाम के आवश्यक धार्मिक अभ्यास का एक हिस्सा है, इसकी गहन जांच की आवश्यकता है”। इसने छात्रों को उनके धर्म या विश्वास की परवाह किए बिना भगवा शॉल (भगवा), स्कार्फ, हिजाब, धार्मिक झंडे कक्षा के भीतर अगले आदेश तक पहनने से रोक दिया। हिजाब के समर्थन और विरोध के बीच कर्नाटक के स्कूल और कॉलेज फिर से खुल गए हैं, जिसमें हिंदू छात्र भगवा शॉल पहने हुए थे।

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