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आज 09 सितम्बर को सामवेदिय रक्षाबंधन : ब्राह्मण वर्ग के लिए हैं महापर्व, पढ़े पूरी ख़बर

पंडित वी. के. तिवारी (ज्योतिषाचार्य)

आज 09 सितम्बर 2021, दिन -गुरुवार। सामवेदिय रक्षाबंधन, हरतालिका तीज, वैदिक रक्षासूत्र बनाये बांधें। आज का दिन ब्राह्मण वर्ग के लिए महापर्व हैं। (जन्म से शूद्र, यज्ञोपवीत संस्कार उपरांत-“द्विज”)

वैदिक कालीन परम्परा के अनुसार :

हरतालिका तीज पर्व सामवेदीय वर्ग विशेष रूप से सामवेदीय कश्यप (कान्यकुब्ज, शांडिल्य) गौतम, गोत्र वालो का रक्षा बंधन हैं। श्रृंगी ऋषि – सामवेदियों का उपाकर्म सिंह के सूर्य में भाद्रपद मास में ही है। जनेऊ परिवर्तन एवं जौ के आटे में दही मिलाकरघी की सामवेद /ऋग्वेद के मंत्रों से सावित्री, ब्रह्मा, श्रद्धा, मेधा, प्रज्ञा, स्मृति, छंद और ऋषि को आहुति देते है। राखी नारी वर्ग के लिए भी उपयोगी हैं। सभी वर्ग 09 सितम्बर के राखी पर्व का लाभ उठा सकते हैं क्योकि ज्योतिष की दृष्टी से विशेष अद्भुत विजय एवं सफलता का दिन वर्ष में एक बार यह दिन आज हैं। हरतालिका तीज को ही राजा हिमवान की पुत्री पार्वती को भगवान शिव ने पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। सौभाग्य कामना से अविवाहित एवं सौभाग्य की रक्षा हेतु सौभाग्यवती इस व्रत को करती हैं।

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राखी- के लिए उपयोगी समय
प्रातः 11:53 से 12:42 दोपहर तक -अभिजित।
14:31 से सिद्धि योग प्रारंभ।

राखी या नए कार्य हेतु वर्जित, अशुभ काल परन्तु पूजा अनुष्ठान हेतु उत्तम-
यमघंट – 06:05 – 07:38, गुलिक काल – 09:11 – 10:44.
दुर्मुहुर्त काल -10:12-11:03, राहू काल 13:51 -से 15:24.

संपूर्ण भारत में यहाँ तक कुमाऊं के तिवारी बंधुओं द्वारा यज्ञोपवीत धारण तथा रक्षासूत्रबंधन का पर्व ‘हरताली’मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, आन्ध्र, तमिलनाडू, उत्तराखंड में तिवारी, तिवाड़ी, तेवारी, तेवाड़ी, त्रिपाठी, त्रिवेदी आदि उपनामों से प्रचलित सामवेदी ब्राह्मण आज के दिन ‘हस्त’ नक्षत्र में ही ‘हरताली’ तीज पर जनेऊ धारण करते हैं एवं राखी बाँधते हैं।

पौराणिक कथन के अनुसार जिनको अपने गोत्र का ज्ञान नहीं उनका गोत्र कश्यप ही मान्य हैं। सभी धार्मिक कृत्यों में गोत्र का स्मरण प्रारंभ में ही अपने नाम के साथ करना होता है। गोत्र सप्त ऋषियों के नाम पर आधारित हैं। सृष्टि सृजन कुल के प्रमुख आदि ऋषि कश्यप वर्णित इसलिए गोत्र ज्ञान के अभाव में “कश्यप-गोत्र” मान्य हैं।

‘सामगानामुपाकर्म’ (हरताली) पर हस्त नक्षत्र देव तर्पण, ऋषि तर्पण व पितर तर्पण आदि होते हैं। आगामी एक वर्ष तक उर्जा, सुरक्षा या आकस्मिक दुर्घटना से रक्षा का कवच –मुहूर्त विशेष एवं मन्त्र प्रभाव।
वेदों के अनुसार उपाकर्म शुक्ल पक्ष में ही होता है : भाद्र शुक्ल पक्ष हस्त नक्षत्र 09 सितम्बर को सामवेदियों का रक्षाबंधन श्रेष्ठ रक्षा बंधन।

ज्योतिष की दृष्टी से वेदों के उपाकर्म एवं रक्षा बंधन के विशेष अति महत्वपूर्ण दिन ग्रह विशेष स्थिति में निर्मित होते हैं जो आगामी एक वर्ष तक उर्जा, सुरक्षा या आकस्मिक दुर्घटना से रक्षा का कवच होते हैं। ” हस्त नक्षत्र” को सिद्ध सफल नए वस्त्र आभूषण के लिए श्रेष्ठ माना गया है। ”त्रयोदशी”तिथि विजय प्रदात्री तिथि मान्य है।
1. श्रावण चतुर्दशी को (21 अगस्त2021) ऋगवेदियों का उपाकर्म (जनेऊ परिवर्तन) एवं रक्षा बंधन पर्व हुआ|
2. श्रावण पूर्णिमा को (22 अगस्त 2021) यजुर्वेदियों का रक्षा बंधन पर्व हुआ।

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रक्षासूत्र, हृदयाघात से करता हैं सुरक्षा प्रदान

रक्षाबंधन की वैज्ञानिकता, उपादेयता, संबंधों की पवित्रता, स्नेह, मनोबल वृद्धि प्रदान करने वाला हैं। यह हृदयाघात सुरक्षा – वैज्ञानिक दृष्टि से भी दाहिने हाथ की कलाई मे बाँधे जाने वाले इस धागे का अलग ही महत्व है। हमारे हाथ के रक्त वाहनियो का मुख्य संबंध सीधे हमारे हृदय से है। इसलिए हाथ मे बंधे हुए धागों के दबाव से रक्त का आवागमन हृदय तक एक समान बिना उतार चढ़ाव के बना रहता है। जिससे हृदयाघात जैसी बिमारियो से रक्षा होती है।

रक्षा बंधन का दोष मुक्त शुभ काल 

अमृत काल : 09:34 – 11:07, अभिजित मुहूर्त : 11:57 से 12:49, विजय मुहूर्त : 14:31 से 15:22 तक हैं।

तिलक लगाने का मंत्र :

पुण्यं यशस्यम आयुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यंसौभाग्यम अतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्य अहम्।।

रक्षा बंधन मन्त्र :

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामनु बध्नामि रक्षेमाचल मा चल।
रक्षासूत्र बांधते समय श्लोक “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा सूत्र के बन्धन से मैं तुम्हें बांधती हूं यह तुम्हारी रक्षा करेगा।“

बनायें शुद्ध वैदिक रक्षासूत्र :

हरी दुर्वा, चावल, केसर, हल्दी, चंदनचूर्ण, सरसों (कालि, पीली,श्वेत) कोड़ी व गोमती चक्र एक पीले या लाल रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे मौली में पिरो दें। राखी तैयार हो जायेगी। राखी कच्चे सूत या कच्चे सूत के धागे को हल्दी जल से गीला करें।

पूजा तिलक सरल विधि :

अष्टकमल दल 8 पंखुरी वाला कमल पूर्व या उत्तर दिशा में स्वच्छ स्थान या लकड़ी पर बनायें। यह श्वेत लाल रंग से निर्मित हो या चावल रंग कर बनायें।अभाव में आटे से भी बना सकते है। दीपक, अपनी बांयी ओर (तेल महुआ, तिल,चमेली का ही तो उतम हैं)। एवं दाहिनी ओर घी का दीपक रखे। दाहिनी ओर जल कलश रखे। दीपक की वर्तिका पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिये।

कलश पर स्वस्तिक बनाकर उस पर एक कटोरी में चावल रखें। उस पर नारियल आड़ी स्थिति में रखे नारियल का मोटा भाग अपनी ओर रखे। ’थाली में श्वेत सरसों, केसर, हल्दी, चंदन, श्वेत बिना टूटे हुए चावल या जौ हरी दूव रखे। इनको गीला कर भाई को तिलक करें। ’अपने गुरु, कुल देवता, गणेश जी को रक्षासूत्र अर्पित करे। इसके पश्चात यजमान, अधिकारी, मंत्री, भाई, शिष्य के दाहिने हाथ की कलाई में रक्षासूत्र बांधे। ध्यातव्य – वैदिक नियम तात्कालिक परिस्थिति के अनुरूप बनाये गए।

आज नारी वर्ग पुरुष के सामान ही ज्ञान एवं कार्य-कर्मठा, क्रियाशीला (आन्तरिक तथा बाह्य दोहरे दायित्व का निर्वहन कर रही) है, इसलिए उसको भी एक वर्ष की अवधि के लिए अनिष्ट नाशक, सुरक्षा कवच के रूप में गुरु, पंडित से मौली कलावा या रक्षा/राखी बंधवाना चाहिए।

रक्षा सूत्र मन्त्र

मंत्र. येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः तेज त्वाम अनुबह नामि रक्षे मा चल मा चल।
“जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबन्धन से मैं तुम्हें बांधता हूं जो तुम्हारी रक्षा करेगा।“

रक्षाबंधन के पर्व पर राशि अनुसार राखी बांधे

1. मेष राशि : गहरे लाल रंग के धागे हो। लाल चंदन पूर्व दिशा की ओर मुह हो।
2. वृषभ राशि : अनेक रंगो के साथ श्वेत रंग अवश्य होना चाहिये। श्वेत या विभिन्न रंग वाला पुष्प भाई को दे। श्वेत चंदन मिश्रित टीका हो। उत्तर दिशा या आग्नेय की ओर आपका मुह हो।
3. मिथुन : हरा रंग राखी में अवश्य हो। शमी पत्र या विश्व पत्र पुष्प के साथ हो पुष्प पीले या श्वेत रंग के हो।
मुह उत्तर दिशा की ओर बहन का होना चाहिए।
4. कर्क राशि : श्वेत नारंगी रंग की राखी हो। पूर्व या वायत्य दिशा की ओर टीका करने वाले का मुह हो। जल मिश्रित टीका लगाए।
5. सिंह : लाल गुलाबी रंग की राखी हो। पूर्व दिशा में बहिन का मुह हो लाल रंग के पुष्पो का प्रयोग करे।
6. कन्या : हरे रंग की राखी हो। उत्तर दिशा की ओर मुह हो। तुलसी तथा बेलपत्र अवश्य दे। श्वेत रंग के पुष्पो का प्रयोग करे।
7. तुला राशि : आग्नेय दिशा की ओर मुह हो। यज्ञभस्म टीका सामग्री में हो पानी के स्थान पर यदि इत्र सेट स्प्रे को मिलाया जावे तो श्रेष्ठ होगा। बेला मोगरा चमेली चांदनी आदि श्वेत पुष्प हो।
8. वृश्चिक : ईशान पूर्व दिशा की ओर मुह हो टीका लगाते समय। लाल रंग या कत्थई रंग की रोली आदि हो लाल चंदन मिश्रित हो।
9. धनु व मीन : या पूर्व दिशा की ओर मुह हो पीले रंग के पुष्प हो टीका सामग्री में हल्दी केसर का मिश्रण करे।
10. मकर व कुंभ राशि : नीले रंग वाली राखी हो। शमी पत्र अवश्य दे। टीका सामग्री में भस्म अवश्य मिलाए। अपराजिता पुष्प श्रेष्ठ है अन्यथा रंग बिरंगे पुष्प हो उत्तर दिशा की ओर मुह हो।

आलेख :

पंडित वी. के. तिवारी (ज्योतिषाचार्य)

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