आखिर शकुनि मामा अपने ही भांजे दुर्योधन को जीवन भर गलत रास्ता क्यों दिखाते रहे?

लेकिन शकुनि के बारे में यह बात शायद कम लोगों को ही पता हैं कि शकुनि कौरवो से नफरत करता था. 

महाभारत में शकुनि को मामा शकुनि के नाम से भी जाना जाता है. शकुनि दुर्योधन का मामा , गांधारी का भाई और धृतराष्ट्र का शाला था.

महाभारत का युद्ध कराने में मामा शकुनि की अहम् भूमिका मानी जाती है. शकुनि दुर्योधन यानि कौरवो की तरफ था.

शकुनि मामा हमेशा से ही अपने भांजे दुर्योधन को गलत रास्ता दिखाते थे और हर समय कुटिल चालों का चलने के लिए प्रेरित करते थे.   

शकुनि कि चाल की वजह से ही पांडवों को जुआ खेलने के लिए विवश होना पड़ा.

शकुनि धृतराष्ट्र से नफरत करता था शकुनि की बहन गांधारी का विवाह राजा धृतराष्ट्र से हुआ था.

धृतराष्ट्र के रिश्ते की बात भीष्म पितामह लेकर आये थे. शकुनि का ऐसा मानना था कि भीष्म पितामह ने विवाह से पहले ये बात छिपा ली कि धृतराष्ट्र अंधे थे 

जिस वजह से उनकी बहन को उम्र भर अंधेपन की जिंदगी जीनी पड़ी थी. इस कारण शकुनि कौरवो से नफरत करता था.  

यही नहीं शकुनि के पिता और उसके 100 भाइयों को  धृतराष्ट्र ने बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया।  इस अत्याचार का भी शकुनि बदला लेना चाहता था.

इसलिए उसने  कौरवो का नाश करने की प्रतिज्ञा ली थी लेकिन ये बात उसने कभी जाहिर नहीं होने दी.