द्रौपदी ने कुत्ते को श्राप क्यों दिया था ? 

जब अर्जुन द्रौपदी को स्वयंवर जीत कर उन्हें ब्याह  कर कुटिया में लाए थे.तब अर्जुन ने कुंती से कहा कि 'माँ देखिए हम आपके लिए क्या लाए हैं.

तब कुंती ने बिना देखे कह दिया कि जो भी लाये हो "पाँचो भाई आपस में बराबर -  बराबर बाँट लो".  

शादी के बाद द्रौपदी अपने पाँच पतियों के साथ रहने लगी थी , लेकिन वह एक समय किसी एक पांडव के साथ ही समय व्यतीत करती थी 

द्रौपदी जब एक कक्ष में किसी एक पांडव के साथ समय व्यतित करती थी तो वह पांडव के दरवाजे के सामने अपनी चरणपादुका रख देती थी

इससे दूसरे पांडव को पता चल जाता था कि एक भाई  द्रौपदी के साथ  कक्ष में है.

लेकिन एक दिन ऐसी घटना हो गई कि दरवाजे के पास रखी चरणपादुका को कुत्ता अपने मुंह में उठाकर जंगल में ले गया .

इस दौरान जब दूसरा पांडव भाई वहां से गुजरा तो उसे लगा द्रौपदी के कक्ष में कोई नही है . लेकिन द्रौपदी दूसरे पांडव के साथ बिस्तर पर थी.

तीनों ही एक दूसरे  को देखकर लज्जित हो गए. जिसपर द्रौपदी ने अंदर आए पांडव से पूछा क्या आपको बाहर चरणपादुका नही दिखे . 

तब पांडव ने कहा कि नही , बाहर चरणपादुका नही थे इसलिए में आपके कक्ष में आया हूं .

जब अर्जुन और भीम चरणपादुका ढूंढते हुए जंगल गए वहा उन्होंने देखा कुछ कुत्ते चरणपादुका से खेल रहे थे.

जिससे क्रोधित होकर द्रौपदी ने कुत्तों को यह श्राप दिया कि जिस तरह से किसी ने मेरा सहवास देखा है .

उसी तरह से पूरी दुनिया तुम्हारा सहवास होते हुए देखेगी . तभी से कुत्ते खुले में सहवास करते है .