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छत्तीसगढ़ में मंडराता डेंगू का खतरा… कोरोना से ज्यादा मिल रहे डेंगू टाइप-2 के मरीज

छत्तीसगढ़ न्यूज़

प्रदेश जहां कोरोना वायरस की मार झेल रहा है वहीं स्वास्थ्य के मोर्चे पर एक और चिंताजनक खबर यह आई है कि 11 राज्यों में डेंगू के टाइप-2 मरीज मिल रहे हैं। केंद्र सरकार के अनुसार ऐसे मरीजों में डेंगू के अन्य रूपों की तुलना में ज्यादा जटिलताएं देखी जा रही हैं।डेंगू को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने भी जानकारी दी।

बता दें, देश के कई राज्यों में मच्छर जनित रोग डेंगू का कहर देखा जा रहा है। घरों व अस्पतालों में सैकड़ों की संख्या में डेंगू मरीज हैं।बुखार (Fever) से पीड़ि‍त मरीजों में डेंगू संक्रमण (Dengue Infection) की पुष्टि के साथ ही मौतों की संख्‍या भी लगातार बढ़ रही है। इनमें बड़ों के साथ-साथ बड़ी संख्‍या में बच्‍चे भी शामिल हैं।

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बदलता मौसम भी एक प्रमुख कारण

इस बार बारिश हुई है लेकिन रुक-रुक कर हुई है और इससे पानी जमा होता रहा है। या तो कम बारिश हो तो पानी सूख जाता है या ज्‍यादा बारिश हो तो पानी को निकालने के इंतजाम किए जाते हैं लेकिन बारिश होने और फिर रुकने के चलते व्‍यवस्‍था इंतजाम पूरी तरह नहीं किए गए हैं जो कि डेंगू के एडीज मच्‍छर को बढ़ावा देने में मददगार है। मात्र 10 दिन के अंदर लार्वा बनने से लेकर मच्‍छर बनने तक का काम हो जाता है ऐसे में एक से दो महीने में कितने मच्‍छर पनप जाएंगे यह अनुमान लगाया जा सकता है।

टाइप-2 डेंगू मरीजों में यह है खतरा

डेंगू का टाइप-2 स्ट्रैन पहले व तीसरे स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक है। टाइप-2 स्टेन से संक्रमित मरीजों में प्लेटलेट काउंट बहुत तेजी से गिरता है। यह डेंगू में दो तरह से असर करता है। पहला डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएफ) और दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) है। डेंगू हेमरेजिक फीवर ज्यादा खतरनाक नहीं है लेकिन शॉक सिंड्रोम में बुखार उतरने के बाद मरीज में तेजी से प्लेटलेट की संख्या कम होने प्रकृति देखी गई है।

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इस तरह रखें नजर और करें बचाव

टाइप-2 डेंगू मरीज का बुखार उतरने के बाद भी दी प्लेटलेट्स की जांच कराते रहना चाहिए। यदि प्लेटलेट्स बुखार उतरने के बाद भी 30 हजार से कम हैं तो मरीज को पूरी तरह से आराम करना चाहिए। उसे पौष्टिक तरल पदार्थ देना चाहिए। जिससे शरीर में द्रव की कमी न हो। यदि प्लेटलेट्स इसके बाद भी घटे तो मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है। जिससे उसे प्लेटलेट्स चढ़ायी जा सके। उन्होंने बताया कि प्लेटलेट्स काउंट कम होने से रक्तस्राव होने की संभावना होती है। शरीर के प्रतिरक्षण तंत्र और मरीज की शारीरिक स्थिति के अनुसार रक्तस्राव हो सकता है।

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कुछ मरीजों में 10 हजार प्लेटलेट्स काउंट होने पर भी रक्तस्राव नहीं होता तो कुछ में 30 से 40 हजार काउंट होने पर रक्तस्राव की प्रकृति देखी गई है।  पब्लिक हेल्‍थ एक्‍सपर्ट डॉ. सतपाल बताते हैं कि बड़ों की अपेक्षा बच्‍चों पर डेंगू बुखार का खतरा ज्‍यादा होता है। इसकी तमाम वजहें हैं।

बड़ों के मुकाबले बच्‍चों के लिए ज्‍यादा खतरनाक है डेंगू

बच्‍चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कम होती है।या फिर उत्‍तर भारत में पोषणयुक्‍त भोजन के मामले में बच्‍चे काफी पीछे हैं ऐसे में शरीर में शक्ति न होने के कारण बच्‍चे डेंगू का बुखार होने पर उसे झेल पाने में कमजोर साबित होते हैं।

क्या सावधानी बरतें?

घर में लंबे समय तक पानी न जमने दे। कूलर, गमले और नारियल के खोल में पानी जमा न होने दें। ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नालियों और घर के आस-पास करना है।डेंगू के लक्षण 3 से 14 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं। तबियत खराब होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। बारिश के मौसम में नालियों, कूलर, गमले, छत पर अक्सर पानी हो जाता है। पानी नहीं जमने देने की कोशिश करनी चाहिए।

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