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एक ऐसा सेंटर जहां डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में लिखते हैं बोरे-बासी

Bore Basi in Prescription: एक तरफ मेडिकल साइंस नए-नए अन्वेषण और आधुनिक उपकरणों से बीमारियों का इलाज करने में सफलता हासिल कर रही है। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ का प्रिय और पारंपरिक आहार बोरे-बासी से भी कई रोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। ये छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का ही प्रभाव है कि अब डॉक्टर भी प्रिस्क्रिप्शन में बोरे-बासी रिकमेंड करते हैं। जिला मुख्यालय महासमुंद से लगभग 40 किलोमीटर दूर पटेवा के पास रायतुम गांव में एक ऐसा नेचर क्योर सेंटर है, जहां डॉक्टर भी मरीज के डाइट में बोरे-बासी को अनिवार्य और मुख्य आहार के रूप में शामिल करते हैं।

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नेचर क्योर सेंटर के डॉक्टरों का मानना है कि बोरे-बासी में भरपूर विटामिन बी 12, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे पौष्टिक गुण के साथ हृदय रोग, स्किन रोग, डायरिया समेत कई रोगों से लड़ने की क्षमता है। पहले यह सामान्य समझ थी कि बोरे-बासी सिर्फ राज्य के मजदूर और किसानों का प्रिय आहार है, लेकिन अब हमारे राज्य के बोरे बासी को देश के साथ विदेशी लोग भी बड़े चाव से खा रहे हैं। दरअसल, बोरे-बासी छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आहार का अभिन्न हिस्सा रहा है। यहां के मजदूर किसान गर्मी के दिनों में बोरे बासी खाकर ही काम में निकलते थे। (Bore Basi in Prescription)

 

बीते साल छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमवीरों के सम्मान में खुद बोरे-बासी खाया था। इस साल भी उन्होंने 1 मई श्रमिक दिवस को बोरे-बासी तिहार के रूप में मनाने अपील की है। रायतुम गांव में साल 2018 से फाइव लोटस इंडो जर्मन नैचर क्योर सेंटर संचालित है, जहां बोरे-बासी अन्य डाइट के साथ इलाज का मुख्य माध्यम है। यहां की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर रंजीता ने बताया कि बोरे-बासी में चावल में पाए जाने वाले आर्सेनिक की मात्रा को कम करने की अद्भुत क्षमता है। इसके अलावा यह शरीर मे आयरन की कमी को दूर करता है। (Bore Basi in Prescription)

पेट को ठंडक पहुंचाता है और गर्मी में लू लगने से बचाता है। यहां तक कि यह पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है। डॉक्टर रंजीता ने बताया कि सप्ताह में यदि तीन बार भी बोरे बासी खाया जाए तो इससे मेमोरी पावर गेन होती है और एकाग्रता बढ़ती है ।उन्होंने यह भी कहा कि बोरे बासी के सेवन से माउथ अल्सर के उपचार में भी मदद मिलती है । शिशुवती माताओं के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। बोरे बासी खाने से मां का दूध भी पर्याप्त मात्रा में बनता है। उन्होंने कहा कि यहां बोरे बासी में अदरक ,दही ,हरी मिर्च, सेंधा नमक,काला नमक ,प्याज मिलाकर और राई के छौंक लगाकर यहां भर्ती मरीजों को दिया जाता है। इससे इसका स्वाद भी बढ़ता है साथ ही मरीजों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।

सेंटर में बोरे बासी बनाने वाले सैफ राज किशोर ने बताया कि पहले चांवल को पकाते हैं। फिर पके हुए चावल में से आधा पसिया को निकाल देते हैं। फिर उसे ढककर किसी गर्म जगह पर रात भर के लिए रखते हैं । सुबह इसे टमाटर चटनी (सिलबट्टा), लाल भाजी, पालक, चौलाई भाजी,ककड़ी के साथ खाते हैं ।यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है साथ ही इससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि बोरे बासी खाने से चाय कॉफी और यहां तक शराब की लत भी धीरे-धीरे छूट जाती है। (Bore Basi in Prescription)

यहां स्वास्थ लाभ लेने पहुंची अंबिकापुर की स्वेच्छा सिंह ने बताया कि जब से वे यहां आई है तब से उन्हें अन्य डाइट के साथ बोरे बासी दिया गया।इससे उन्हें वास्तव में स्वाथ्य लाभ मिला है तनाव दूर हुई है और मानसिक एकाग्रता बढ़ी है। सेंटर के संचालक राजेश सिंह ने बताया कि इस सेंटर की स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी और यहां 100 बेड की सुविधा है। यहां देश भर के अलावा अन्य देश के लोग भी विभिन्न रोगों का उपचार कराने पहुंचते हैं। यहां अभी तक लगभग 18 हजार लोगों का बोरे बासी खिलाकर सफलता पूर्वक उपचार किया गया है। (Bore Basi in Prescription)

CM Bhent Mulakat Poshan Sahu

आलेख : पोषण साहू
सहायक जनसंपर्क अधिकारी
जनसंपर्क विभाग महासमुंद (छ.ग.)

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