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Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में मोदी सरकार, राज्यों को दी हरी झंडी!

Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता मतलब देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए एकसमान नियम से हैं। केंद्र सरकार ने देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता कानून लाने के लिए तैयारी शुरु कर दी है। इस कानून का केंद्रीय बिल आने वाले समय में किसी भी समय संसद में पेश किया जा सकता है। परीक्षण के तौर पर उत्तराखंड में इस कानून के बनाने की कवायद शुरू की गई है जिसमें एक कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी के लिए ड्राफ्ट निर्देश बिन्दु केंद्रीय कानून मंत्रालय ने ही दिए हैं। इससे साफ है कानून का ड्राफ्ट केंद्र सरकार के पास बना हुआ है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) का कहना है कि जिस तरह से प्रदेश सरकार ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर विधानसभा चुनाव (assembly elections) के दौरान प्रदेश वासियों से वादा किया था, वह पूरा करने के लिए सरकार काम कर रही है. समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर विचार मंथन करेगी.सभी पहलुओं पर विचार मंथन किया गया है. मुख्यमंत्री धामी ने सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्‍होंने लिखा- देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित करते हुए सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने के लिए न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है।

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समान नागरिक संहिता की जरूरत क्या है?
आज के समय में हिंदू विवाह कानून अलग है, मुस्लिम पर्सनल लॉ अपने समुदाय के लिए है, पारसियों और इसाइयों के लिए भी अलग रूल है। जैसा कि नाम से समझ में आ रहा है समान नागरिक संहिता मतलब देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए एकसमान नियम। सरल शब्दों में समझें तो धर्म आधारित नियम-कानून की जगह अब एक सार्वजनिक कानून का होना। जब संविधान तैयार हो रहा था, उस समय भी इसकी चर्चा हुई थी और बाद में सुप्रीम कोर्ट कई बार इसकी जरूरत समझा चुका है। यह देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को भी मजबूत करेगा क्योंकि UCC सभी धर्मों के लोगों के लिए एकसमान होगा। यानी मौजूदा धार्मिक कानून से इतर यह निष्पक्ष कानून होगा।

इन पर असर डालेगा समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह की उम्र, विवाह, विवाह विच्छेद (तलाक), दत्तक (गोद लेने का अधिकार), बच्चों का अभिरक्षण (कस्टडी), पोषण भत्ता, उत्तराधिकार (विरासत), पारिवारिक संपदा का बंटवारा और दान यानी चैरिटी को लेकर एक ही कानून होगा।

सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है जरूरत पर जोर
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद हिंदू विवाह, हिंदू अविभाजित परिवार, मुस्लिम पर्सनल लॉ, पारसी लॉ या इसाई लॉ या किसी और अल्पसंख्यक धर्म के कानून जैसे धर्म आधारित अधिनियम वाले कानून की जगह एक सार्वजनिक कानून होगा। संविधान बनाते समय भी इसी की वकालत की गई थी. इसके अलावा कई बार सुप्रीम कोर्ट भी इस एकसमान कानून की जरूरत पर जोर दे चुका है।

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