Shani Dev: सभी परेशानी को दूर करेंगे न्याय के ‘देवता’, बस इस तरह करें पूजा

Shani Dev: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हफ्ते का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। शनिवार के दिन न्याय के देवता यानी शनिदेव की पूजा की जाती है। शनिदेव व्यक्ति को उनके कर्मों के मुताबिक फल देते हैं। शनिदेव का प्रभाव आपके जीवन में अच्छा हो तो आप बहुत आगे जाएंगे। वहीं शनिदेव का प्रभाव आपके जीवन में गलत पड़ने लगे तो आपका हंसता-खेलता परिवार कब बिखर जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती (Shani Dev) होती है तो उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इससे मुक्ति पाने के लिए आज आपको कुछ उपाय बताते हैं, जिससे शनिदेव प्रसन्न हो जाएंगे और आपको मनचाहा फल देंगे।

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हर शनिवार के दिन काला तिल, आटा और शक्कर मिलाकर काली चीटियों को खिलाएं। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं, आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आप शनिवार शाम को अपनी मध्यम अंगुली में घोड़े के नाल या नाव की कील से बनी अंगूठी धारण करें। शनिदेव के बुरे प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए शनिदेव के दस नाम का जाप कम से कम 108 बार करें। ऐसा करने से आपके सभी दुख दूर हो जाएंगे। शनिवार के दिन दान करने का भी बहुत ज्यादा (Shani Dev) महत्व होता है। इस दिन काले तिल, काले कपड़े या फिर उड़द की दाल का दान करें। शनिवार के दिन हनुमान चलीसा पढ़ना चाहिए। हनुमान जी का पूजन करने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही बंदरों को गुड़ और चना खिलाने से भी बहुत फायदा होता है।

शनिवार व्रत और पूजा विधि

शनि की महादशा का सामना कर रहे व्यक्तियों को शनिवार का व्रत रखना चाहिए, क्योंकि अगर कर्मों के फलदाता आपके पूजा से खुश हैं, तो आपके जीवन से दुखों का अंत हो जाएगा। शनि देव को काली वस्तुएं बहुत पसंद है। इसलिए काले तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द की पूजा में में उपयोग जरूर करना चाहिए। शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर शनि देव का स्मरण करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिए। लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराना और मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित (Shani Dev) करें। इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल से पूजा करें।

व्रत में पूजा के बाद शनि देव की कथा का श्रवण

व्रत में पूजा के बाद शनि देव की कथा का श्रवण करें और दिनभर उनका स्मरण करते रहें। पूजा के बाद अपनी क्षमतानुसार, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और लौह वस्तु, धन का दान करें। इस दिन व्यक्ति को एक ही बार भोजन करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन चीटियों को आटा डालना फलदायी माना गया है। इस तरह शनि देव का व्रत रखने से दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदला जा सकता है और हर विपत्ति को दूर किया जा सकता है।

शनिवार व्रत का क्या होता है महत्व?

शनिवार के दिन व्रत करने से शनि ग्रह (Shani Dev) का दोष समाप्त हो जाता है। भविष्य में आने वाले प्रकोप से भी बचा जा सकता है। साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिलता है और बिगड़ा काम पूरा होता है। इससे नौकरी और व्यापार में सफलता तो मिलती ही है। साथ ही साथ सुख-समृद्धि, मान-सम्मान और धन-यश की भी प्राप्ति होती है। शनिवार के दिन व्रत रखने से घर में सुख और शांति रहती है। इसके अलावा रोग से भी छुटकारा मिलता है। शनिवार का व्रत अन्य सभी वारों के व्रत में सबसे ज्यादा अहम माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक जिन व्यक्तियों कि कुंडली में शनि निर्बल अवस्था में होता है उन व्यक्तियों को शनिवार का व्रत जरुर करना चाहिए।

भगवान शनि देवजी की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥जय।।

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