छत्तीसगढ़ न्यूज : गौठानों के स्वावलंबी होने के लिए निर्धारित है सात मापदंड, पढ़े पूरी खबर

रायपुर। छत्तीसगढ़ 

छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में निर्मित एवं सक्रिय गौठानों के स्वावलंबी होने के लिए छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विभाग मंत्रालय सात मापदंड निर्धारित किए गए हैं। निर्धारत मापदंडों को पूरा करने वाले गौठानों को शासन द्वारा स्वावलंबी गौठान के रूप में मान्य किया जाता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य में अब तक 1242 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। जिसमें सर्वाधिक 189 गौठान रायगढ़ जिले के है।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य में पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सुराजी योजना के गरूवा घटक के अंतर्गत गांव-गांव में गौठानों का निर्माण कराया जा रहा है। अब तक 10187 गौठानों के निर्माण की मंजूरी दी गई है, जिसमें से 5893 गौठान निर्मित एवं संचालित है। गौठानों में पशुओं के चारे-पानी की व्यवस्था के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की नियमित रूप से जांच का प्रबंध शासन द्वारा किया गया है। गौठानों में पशुओं को हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चारागाह विकसित कर वहां हाईब्रिड नेपियर घास सहित अन्य हरे चारे का उत्पादन किया जा रहा है।

 गोधन न्याय योजना से दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी शुरू

छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के शुरू होने से गौठानों में पशुधन की देखरेख के साथ ही वहां आयमूलक गतिविधियां शुरू हो गई है। गोधन न्याय योजना के जरिए दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी शुरू होने के बाद से गौठानों में बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट खाद और सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण के साथ ही मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन, सब्जी उत्पादन, अगरबत्ती, फिनाईल, साबुन, डिटर्जेंट आदि का निर्माण भी महिला समूहों द्वारा किया जा रहा है। गौठानों में संचालित आयमूलक गतिविधियों के चलते हो रहे आर्थिक लाभ से अब गौठान धीरे-धीरे स्वावलंबी होने लगे हैं।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गौठानों के स्वावलंबी होने के लिए निर्धारित मापदंड में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि गौठान के पास कम से कम एक पखवाड़े तक क्रय किए गए गोबर के भुगतान की राशि उपलब्ध होना चाहिए। गौठानों में गोबर की क्रय मात्रा के अनुरूप उससे वर्मी खाद तैयार करने के लिए पर्याप्त मात्रा में वर्मी टांको की उपलब्धता, बीते दो सप्ताह में क्रय किए गोबर की मात्रा को छोड़कर शेष क्रय गोबर का वर्मी कम्पोस्टिंग के लिए उपयोग तथा बीते चार पखवाड़े में क्रय गोबर को छोड़कर शेष गोबर का कम्पोस्ट के रूप में तबदील होना जरूरी है।

वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट की विक्रय के बाद शुद्ध लाभ का स्व-सहायता समूह को भुगतान एवं गौठान में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के साथ-साथ कम से कम दो अन्य आयमूलक गतिविधियों का गौठान में संचालन गौठान के स्वावलंबी होने की शर्त में शामिल है। गौठान के गुणात्मक मापदंड के अंतर्गत वहां की आर्थिक गतिविधियों के अभिलेख का संधारण, वर्किंग शेड, ट्यूबवेल, पशुओं के लिए चारे एवं पानी की व्यवस्था के साथ-साथ वर्मी कम्पोस्ट के लिए आवश्यक अधोसंरचना तथा कम से कम 50 फीसद पशुओं की नियमित गौठान आते हो।

Back to top button
error: Content is protected !!