चीनी वैज्ञानिकों ने की NeoCov कोरोनावायरस की खोज, जानें इस पर WHO ने क्या कहा

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आज कहा कि चीनी वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए NeoCov कोरोनवायरस के बारे में और अध्ययन की आवश्यकता है. वुहान के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों के बीच एक नए तरह का कोरोनावायरस NeoCov पाया. एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि यह वायरस भविष्य में इंसानों के लिए खतरा पैदा कर सकता है. कोरोनावायरस वायरस का एक बड़ा परिवार है जो सामान्य सर्दी से लेकर गंभीर श्वसन सिंड्रोम (SARS) तक की बीमारियों का कारण बन सकता है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस खोज के बारे में जानते हैं, लेकिन क्या यह वायरस सच में इंसानों के लिए खतरा हो सकता है, यह पता लगाने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है.

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रूसी समाचार एजेंसी TASS ने स्वास्थ्य निकाय के हवाले से कहा, “यह नया वायरस मनुष्यों के लिए जोखिम पैदा करेगा या नहीं, इसके लिए और अध्ययन की आवश्यकता होगी.”

संगठन ने कहा कि मनुष्यों में 75% संक्रामक रोगों का स्रोत जंगली जानवर थे. वैश्विक निकाय ने कहा, “कोरोनावायरस अक्सर जानवरों में पाए जाते हैं, जिनमें चमगादड़ भी शामिल हैं, जिन्हें इनमें से कई वायरस के प्राकृतिक भंडार के रूप में पहचाना गया है.”

डब्ल्यूएचओ ने चीनी शोधकर्ताओं को अपने शोध को प्रीप्रिंट में साझा करने के लिए धन्यवाद दिया. अध्ययन के अनुसार, NeoCov मानव कोशिकाओं में उसी तरह घुस सकता है जैसे COVID-19 वायरस. “नियोकोव मनुष्यों के लिए खतरनाक बनने से केवल एक म्यूटेशन दूर है,” प्रीप्रिंट रिपोजिटरी बायोरेक्सिव पर पोस्ट की गई इस स्ट्डी में शोधकर्ताओं ने यह बात कही.

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यह वायरस मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS) से संबंधित है. गौरतलब है कि यह वायरल बीमारी पहली बार 2012 में सऊदी अरब में पाई गई थी.

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