Guru Ghasidas Jayanti 2024 : गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ और पूरे भारत के समाज को उनके प्रेरक जीवन और विचारों को याद करने का अवसर मिलता है। गुरु घासीदास, जो जात-पात और ऊंच-नीच से ग्रस्त छत्तीसगढ़ी समाज में जन्मे, ने अपने जीवन को सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक जागरण के आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया।
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जातीय विभाजन के खिलाफ आध्यात्मिक जागरण
गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय में हुआ जब समाज जातीय असमानता और आर्थिक शोषण की गहरी खाई में था। उन्होंने समाज को सतनाम पंथ के माध्यम से एक नई दिशा दी, जिसमें हर जाति, वर्ग, और समुदाय के लोग समानता के आधार पर जुड़ने लगे।
उनके आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था मानवीय संवेदना और सामाजिक समरसता की स्थापना। उन्होंने समाज को यह सिखाया कि मानव जीवन को मन, वृति, चिति, बुद्धि और अहंकार के सामंजस्य से व्यवस्थित किया जा सकता है।
बाल्यकाल की संघर्षपूर्ण कहानी
गुरु घासीदास का बचपन भी प्रेरणादायक है। अपने जन्म के कुछ दिनों बाद ही उनकी माता का निधन हो गया। ऐसे में करुणा साहू नामक महिला ने उन्हें गाय का दूध पिलाकर पाल-पोस कर बड़ा किया। इसी संघर्षपूर्ण बचपन ने उन्हें समाज की पीड़ा को गहराई से समझने और सुधार की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा दी।
सतनाम पंथ: सामाजिक क्रांति का माध्यम
गुरु घासीदास द्वारा स्थापित सतनाम पंथ ने समाज में समानता, भाईचारा और आध्यात्मिकता का संदेश फैलाया। इस आंदोलन में साहू, यादव, मरार, लोहार सहित लगभग 75 जातियों के लोग जुड़े और जातिगत बंधनों को तोड़ने का प्रयास किया।
गुरु घासीदास का संदेश
गुरु घासीदास ने अपने अनुयायियों को सच्चाई, मानवता, और आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाया। उनका आंदोलन धरना, प्रदर्शन या हड़ताल से इतर मानव मस्तिष्क और अन्तर्चेतना के जागरण पर आधारित था।
गुरु घासीदास जयंती पर संदेश
गुरु घासीदास की जयंती (Guru Ghasidas Jayanti 2024) के अवसर पर रायपुर के बौद्धिक वर्ग और सतनाम पंथ के अनुयायियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर वक्ताओं ने गुरु के विचारों को याद करते हुए सामाजिक समरसता और मानवता के संदेश को आगे बढ़ाने की अपील की।
गुरु घासीदास जयंती (Guru Ghasidas Jayanti 2024) पर समस्त छत्तीसगढ़वासियों और सतनाम पंथ के अनुयायियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
: घना राम साहू, रायपुर