ईरान में दंगे भड़काने के आरोप में प्रदर्शनकारियों को फांसी की सजा, जानिए क्या है हिजाब मामला
Iran Hijab Protest : ईरान में 16 सितंबर को शुरू हुआ हिजाब विरोधी प्रदर्शन (Iran Hijab Protest) अभी भी जारी है। इस बीच ईरान से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इस मामले में तेहरान कोर्ट ने फैसला सुनाया है। देश में लगातार जारी अशांति के बीच सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी को फांसी और कुछ लोगों को जेल की सजा सुनाई गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान में पहली बार किसी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा 5 लोगों को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है।
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Iran Hijab Protest : फैसले को कोर्ट में दे सकते हैं चुनौती
दोषी शख्स पर सरकारी इमारतों में आग लगाने, दंगे भड़काने और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। इसलिए कहा जा रहा है कि इस मामले में जिन लोगों को सजा हुई है, वे सभी इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। बता दें, सितंबर में महसा अमीनी की मौत के बाद सरकार की जड़ें हिला देने वाले इस प्रदर्शन में शामिल किसी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है।
हिजाब पहनने के मामले में 750 पर आरोप
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तीन प्रांतों में 750 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले, सितंबर में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से राजधानी तेहरान में 2,000 से अधिक लोगों पर आरोप लगाए गए हैं। दक्षिणी होर्मोज़्गन प्रांत के ज्यूडिशियल चीफ मोजतबा घरेमानी ने कहा कि हाल के दंगों के बाद 164 लोगों पर आरोप लगाए गए थे। उन पर हत्या के लिए उकसाने, सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने, सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
कब और क्यों शुरू हुआ Iran Hijab Protest
16 सितंबर को पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद हिजाब विरोधी आंदोलन शुरू हुआ था। महसा 13 सितंबर को अपने परिवार से मिलने तेहरान आई थीं। उसने हिजाब नहीं पहना हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने तुरंत महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 3 दिन बाद महसा की मृत्यु हो गई। अमिनी की मौत का कारण सिर में चोट बताया गया था, लेकिन उसके रिश्तेदारों ने दावा किया कि उसे पहले से कोई बीमारी नहीं थी।
हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि महसा के थाने पहुंचने और अस्पताल जाने के बीच क्या हुआ। इसके बाद से यह मामला सुर्खियों में आया और लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। महसा अमिनी की मौत और अनिवार्य हिजाब के विरोध में कई महिलाओं ने अपने बाल कटवा लिए। इतना ही नहीं, कई महिलाओं ने हिजाब भी जला दिए।
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10 साल से अधिक उम्र की लड़कियां मजबूर
बता दें, महसा अमिनी को देश के सख्त ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के बाद हिरासत में लिया गया था। 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद ही ईरान में महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां बढ़ा दी गई थीं। कपड़े पहनने के लिए कानून बनाया गया। हिजाब पहनने को 1981 से अनिवार्य भी कर दिया गया। इसके बाद से करीब 10 साल से अधिक उम्र की लड़कियां और महिलाएं हिजाब से सिर ढकने के लिए मजबूर हैं। मगर, महसा की मौत के बाद लोग सरकार के इस सख्त कानून का विरोध कर रहे हैं। इस सरकार विरोधी प्रदर्शन को लगभग 8 हफ्ते बीत चुके हैं।