जनजातीय साहित्य महोत्सव: रायपुर में जुटेंगे 15 राज्यों से आदिवासी, साहित्य और कला का होगा भंडार

राजधानी रायपुर में 19 अप्रैल से जनजातीय साहित्य का राष्ट्रीय महोत्सव होने जा रहा है। इसमें 15 प्रदेशों के आदिवासी साहित्य, जीवन और कला के जानकर जुटने वाले हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में इसका उद्घाटन करने वाले हैं। महोत्सव का समापन 21 अप्रैल को होगा। इसमें राज्यपाल अनुसूईया उइके मुख्य अतिथि होंगी।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने रविवार को आयोजन का विवरण दिया। उन्होंने बताया, समारोह का मुख्य उद्देश्य देशभर में पारम्परिक एवं समकालीन साहित्य से परिचय तथा आधुनिक संदर्भ में उनके विकास की स्थिति ज्ञात करना है। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य में जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे शोधार्थियों, साहित्यकारों, रचनाकारों को मंच प्रदान कर जनजातीय साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है।

19 अप्रैल की सुबह10 बजे इसका उद्घाटन होगा। इसके बाद पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा के आधारभूत व्याख्यान से चर्चा की शुरुआत होगी। मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बताया, महोत्सव के लिए विभिन्न राज्यों से जनजातीय विषयों पर लिखने वाले साहित्यकारों, शोधार्थियों और विश्वविद्यालय के विद्वानों को आमंत्रित किया गया था। अब तक उन विषयों पर 80 शोधपत्र मिल चुके हैं। वहीं देश भर से 28 प्रोफेसरों और साहित्यकारों ने आने की सहमति दी है। छत्तीसगढ़ के भी 100 से अधिक साहित्यकार और विद्वान इस महोत्सव में शामिल होने आ रहे हैं।

इस महोत्सव में झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मेघालय, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, दिल्ली और असम के साहित्यकार शामिल होने आ रहे हैं। मंत्री प्रेमसाय सिंह ने बताया, यह अपनी तरह का पहला आयोजन है। इसका आयोजन छत्तीसगढ़ का आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान और केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय मिलकर कर रहे हैं।

महोत्सव में कला की प्रतियोगिता भी होगी
साहित्य महोत्सव के अंतर्गत कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता के लिए राज्यभर के प्रविष्टियां आमंत्रित हो गई हैं। अब तक तीनों आयु वर्गो में 100 प्रविष्टियां प्राप्त हो गई हैं। इसके अतिरिक्त हस्तकला के अंतर्गत माटी, बांस, बेलमेटल, लकड़ी की कलाकृतियों का प्रदर्शन भी होना है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।

नाटक और नृत्य प्रस्तुतियों से मोहक होगी शाम
महोत्सव में छत्तीसगढ़ के विभिन्न नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। जिसमें विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में किए जाने वाले जनजातीय नृत्य शैला, सरहुल, करमा, सोन्दो, कुडुक, डुंडा, दशहरा करमा, विवाह नृत्य, मड़ई नृत्य, गवरसिंह, गेड़ी, करसाड़, मांदरी, डण्डार आदि नृत्यों का प्रदर्शन शमिल है। इसके अलावा शहीद वीर नारायण सिंह, गुंडाधुर और जनजातीय जीवन पर आधारित नाटक भी खेले जाएंगे। प्रदर्शन तीनों दिन शाम को किया जाना है।

जनजातीय विषयों पर पुस्तकों का खजाना मिलेगा
मंत्री ने बताया, महोत्सव में पुस्तक मेला भी होना है। इसमें देश के 11 प्रतिष्ठित प्रकाशकों को आमंत्रित किया गया है। इन प्रकाशकों में नेशनल बुक ट्रस्ट, वाणी प्रकाशन-ज्ञानपीठ, राजकमल प्रकाशन, सत्यम पब्लिशिंग, कौशल पब्लिशिंग हाउस, सरस्वती बुक प्रकाशन, फारवर्ड प्रेस, कावेरी बुक सर्विस, वैभव प्रकाशन, हिंदी ग्रंथ अकादमी और गोंडवाना साहित्य का नाम शामिल है। पुस्तक स्टालों के लिए ऑडिटोरियम की आंतरिक परिसर की गैलरी में व्यवस्था की गई है।

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