JP नड्‌डा के दौरे के बाद बदला छत्तीसगढ़ का राज्यपाल, जानिए कौन हैं बिस्वा भूषण हरिचंदन

Biswa Bhushan Harichandan: आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया गया है। हरिचंदन पड़ोसी राज्य ओडिशा में BJP के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्‌डा के छत्तीसगढ़ दौरे के एक दिन बाद ही राज्यपाल अनुसूईया उइके को छत्तीसगढ़ से हटा दिया गया है। उइके को मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया है। ये बदलाव महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे के साथ शुरू हुए हैं। कोश्यारी ने कुछ दिन पहले इस्तीफा दिया था। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनको मुक्त कर दिया है।

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झारखंड के राज्यपाल रहे रमेश बैस को उनकी जगह महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम, सीपी राधाकृष्णन को झारखंड और आंध्र प्रदेश में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाया गया है। वरिष्ठ भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया को असम और शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। (Biswa Bhushan Harichandan)

बिस्वा भूषण हरिचंदन को अनुसूईया उइके के साथ ही जुलाई 2019 में आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेजा गया था। तीन अगस्त 1934 में पैदा हुए हरिचंदन अभी 89 साल के हैं। उन्होंने 1971 में भारतीय जनसंघ जॉइन किया था। जनता पार्टी के गठन तक वे जनसंघ से ओडिशा के महामंत्री थे। 1980 में भाजपा के गठन के बाद उन्हें ओडिशा यूनिट का अध्यक्ष बनाया गया है। वे 1988 तक भाजपा के अध्यक्ष रहे। उसके बाद उन्होंने बीजू जनता दल जॉइन कर लिया। 1996 में वे फिर भाजपा में लौटे। हरिचंदन पांच बार विधायक रहे हैं। पहली बार जनता लहर में 1977 में चिल्का सीट से चुनाव जीते थे। (Biswa Bhushan Harichandan)

उन्होंने भुवनेश्वर सेंट्रल सीट का भी प्रतिनिधित्व किया। भाजपा-बीजद गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहे। हरिचंदन ने ओडिशा के पाइका विद्रोह सहित कई पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी हैं। वहीं कांग्रेसी होकर भाजपा में आईं अनुसूईया उइके को सरकार ने 16 जुलाई 2019 को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्ति किया था। उन्होंने 17 जुलाई को कार्यभार ग्रहण कर लिया था। इसके ठीक एक महीने बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार ने काम शुरू किया था। मुख्यमंत्री को शपथ ग्रहण मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की तत्कालीन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कराया था।

वहीं अब नवंबर में विधानसभा का फिर से चुनाव होने जा रहा है। ऐसे में अनुसूईया उइके को छत्तीसगढ़ से हटाकर मिजोरम भेज दिया गया है। छत्तीसगढ़ में अनुसूईया उइके को सरकार से टकराने वाली राज्यपाल के रूप में याद रखा जाएगा। उन्होंने सामान्य प्रशासनिक कामकाज में भी राजभवन की भूमिका का विस्तार कर दिया। सुपेबेड़ा के किडनी रोग प्रभावितों से मिलने जाकर उन्होंने सरकार को असहज किया। उसके बाद कुलपतियों की नियुक्ति में सरकार की सिफारिशों को नलरअंदाज कर नियुक्ति कर सीधा टकराव मोल लिया। (Biswa Bhushan Harichandan)

राज्य सरकार ने कुलपति नियुक्ति का अधिकार बदलने का विधेयक पारित कर भेजा तो उसे रोक लिया। विवादित कृषि कानूनों का प्रभाव कम करने वाले विधेयकों को भी रोक कर रखा। आरक्षण विवाद तो हद से आगे बढ़ गया। राज्यपाल ने ये विधेयक रोक लिया तो सरकार राज्यपाल के खिलाफ उच्च न्यायालय पहुंच गई। इसके बाद कोर्ट ने राजभवन को नोटिस भेज दिया। साथ ही जवाब देने को कहा। इसके बाद राजभवन की ओर से इस फैसले को चुनौती दी गई। तब जाकर नोटिस को वापस लिया गया। राजभवन की ओर से कहा गया था कि कोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल से सवाल-जवाब नहीं कर सकता है। (Biswa Bhushan Harichandan)

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