Shardiya Navratri 2024 4th Day : 5 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा होगी. माता को मालपुए का भोग बेहद प्रिय है. पौराणिक मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब माता ने ब्रह्मांड की रचना कर सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति बन गई थीं।
यह केवल एक मात्र ऐसी माता है जो सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं. देवी कूष्मांडा की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए, इससे आरोग्य का वरदान मिलता है। तो आइए जानते हैं कि नवरात्र के चौथे दिन देवी कूष्मांडा को क्या भोग लगाएं और पूजा के समय किन मंत्रों का जप करें। (Shardiya Navratri 2024 4th Day )
मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा का वाहन सिंह है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा नजर आता है तो आठवें हाथ में जप की माला। कहते हैं इस जप की माला में सभी सिद्धियों और निधियों का संग्रह है। कूष्मांडा देवी थोड़ी-सी सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न हो जाती हैं। जो साधक सच्चे मन से इनकी शरण में आता है उसे आसानी से परम पद की प्राप्ति हो जाती है।
मां कूष्मांडा को अर्पित करें इस रंग के फूल
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माता रानी को लाल रंग के फूल अर्पित करें। मां कूष्मांडा को लाल रंग के फूल पसंद हैं। इनका निवास सूर्य मंडल के भीतर है। कहते हैं सूर्य लोक में निवास करने की क्षमता केवल मां कूष्मांडा में ही है और यही सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन माता रानी को लगाएं ये भोग
माता कूष्मांडा को कुम्हरा अति प्रिय है। इसलिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को पेठे को भोग लगाएं। इसके साथ ही माता रानी मालपुए और हलवे का भोग भी लगा सकते हैं।
मां कूष्मांडा पूजा मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कुष्मांडा की पूजा विधि
सबसे पहले सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें। इसके अलावा आप नीले रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं।
सबसे पहले रोज की तरह कलश की पूजा करें। कलश का तिलक करें।
मां कूष्मांडा का पंचामृत से स्नान कराके उन्हेंं हरे रंग के वस्त्र अर्पित करें।
इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जप करें। ध्यान के बाद उन्हें लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सुखे मेवे आदि अर्पित करें।
इसके बाद मां कूष्मांडा की आरती करें और फिर अंत में मां को भोग लगाएं।
मां कूष्मांडा का ध्यान मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
जबकि देवी की पूजा में आप उन्हें जो भी चीजें अर्पित करें उन्हें, ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥ मंत्र से अर्पित करें।
मां कूष्मांडा का भोग
देवी कूष्मांडा को पेठा जिसे कुम्हरा भी कहतेहैं अधिक प्रिय है। इसके अलावा मां कूष्मांडा को दही और हलवे का भोग भी लगा सकते हैं। (Shardiya Navratri 2024 4th Day )
कूष्मांडा माता की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥