छत्तीसगढ़ में सुरक्षित नहीं बेटियां !, हर दिन औसतन 3 रेप के केस दर्ज

Chhattisgarh Rape Case: छत्तीसगढ़ में क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश में बेटियां कहीं सुरक्षित नहीं हैं। स्कूल से लेकर हॉस्टल तक उन पर हैवानों की बुरी नजर रहती है। राजधानी रायपुर में इसी हफ्ते एक मासूम की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। इसी बीच अब कोंडागांव से खबर मिली है कि स्कूल से लौट रही बच्ची के साथ अश्लील हरकत की गई। एक अधेड़ बच्ची को बहला फुसला कर जंगल में ले गया और छेड़छाड़ करने लगा। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। इसी तरह राजिम में नवीन शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठक पर छेड़छाड़ का आरोप लगा है।

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छात्राओं ने प्रधानपाठक पर मारपीट का भी आरोप लगाया और उसे हटाने की मांग की है। छात्राओं की शिकायत पर अधिकारी स्कूल पहुंचे। इधर, बिलासपुर में कन्या छात्रावास की अधीक्षिका श्रद्धा भारद्वाज को सहायक आयुक्त कार्यालय अटैच कर दिया गया है और प्यून पुष्पा कुर्रे को निलंबित कर दिया गया है। हॉस्टल की छात्राओं ने हॉस्टल अधीक्षिका और प्यून के खिलाफ कलेक्टर से गंभीर शिकायत की थी। कलेक्टर ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सीएल जायसवाल को जांच के निर्देश दिए थे, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है। (Chhattisgarh Rape Case)

POCSO के तहत 1 साल में 2,361 केस

राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक छत्तीसगढ़ में साल 2021 में रेप के 1 हजार 93 केस दर्ज किए गए हैं। यानी हर दिन औसतन तीन रेप की घटनाएं हो रही हैं। प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट यानी पोक्सो के तहत छत्तीसगढ़ में पिछले 1 साल में दो हजार तीन सौ इकसठ केस दर्ज किए गए हैं। यानी बच्चों और खासकर बेटियों की सुरक्षा बेहद संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है। चिंता की बात ये है कि जिन गुरुओं पर भरोसा कर हम बेटियों को स्कूल भेजते हैं, उनमें से भी कई बेटियों पर गंदी नजर डालते हैं। जब कोई मामला सामने आता है तो सभी जिम्मेदार अधिकारी एक्टिव हो जाते हैं, लेकिन उससे पहले पूरा सिस्टम सोता रहता है। जबकि होना तो ये चाहिए कि कभी ऐसी घटना न हो, उसके पुख्ता इंतजाम पहले से ही रहे। (Chhattisgarh Rape Case)

महिला काउंसलर की होनी चाहिए व्यवस्था

छात्राओं के स्कूल और कन्या छात्रावासों में महिला काउंसलर की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि बच्चियों को किसी भी तरह की समस्या होने पर उसका तुरंत हल निकाला जा सके। इसके साथ ही छात्राओं की संख्या के अनुरूप में महिला शिक्षकों का रेशियो होना भी जरूरी है। पालकों की समिति और नियमित बैठकों के जरिए भी काफी हद तक बच्चियों को परेशानी से बचा सकता है। ऐसी व्यवस्था होने पर बेटियां सुरक्षित तरीके से अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगी और एक्शन के लिए किसी घटना का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। (Chhattisgarh Rape Case)

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