शिशु के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पौष्टिक आहार जरूरी

Child Mental Development: शिशु के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास और संक्रमण से बचाव के लिए पौष्टिक आहार जरूरी है। छह माह के बच्चे को स्तनपान के साथ पूरक आहार अवश्य देना चाहिए। शिशुओं के स्वास्थ्य और पोषण की बेहतर देखभाल के लिए प्रदेश में 13 सितम्बर से 14 अक्टूबर तक शिशु संरक्षण माह मनाया जा रहा है। इस दौरान नौ माह से पांच साल तक के बच्चों को विटामिन ‘ए’ की खुराक दी जा रही है। शिशु संरक्षण माह में शिशु स्वास्थ्य के संवर्धन से संबंधित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गतिविधियों के संचालन और सेवाओं की प्रदायगी का सुदृढ़ीकरण भी किया जा रहा है।

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गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद के दो साल पोषण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान पोषण का खास ख्याल रखना अति आवश्यक है। शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शुरूआती एक हजार दिन यानी गर्भकाल के 270 दिन और बच्चे के जन्म के बाद दो साल (730 दिन) तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दौरान अगर बच्चे को पर्याप्त पोषण न मिले तो उसका पूरा जीवन चक्र प्रभावित हो सकता है। (Child Mental Development)

पर्याप्त पोषण से बच्चे में संक्रमण, विकलांगता और अन्य बीमारियों की संभावना कम होती है। मां और बच्चे को पर्याप्त पोषण उपलब्ध होने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही इससे बच्चे के स्वस्थ जीवन की नींव भी पड़ती है। जब शिशु छह माह अर्थात 180 दिन का हो जाता है तब स्तनपान शिशु की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता। इस समय बच्चा तेजी से बढ़ता है और उसे अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार नवजात शिशु को स्तनपान के साथ-साथ छह माह की आयु पूरी होने के बाद पूरक आहार देना शुरू करना चाहिए, ताकि उसको पर्याप्त पोषण मिल सके। (Child Mental Development)

पूरक आहार को छह माह के बाद ही शुरू करना चाहिए क्योंकि यदि पहले शुरू करेंगे तो यह मां के दूध का स्थान ले लेगा जो कि पौष्टिक होता है और बच्चे के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है। बच्चे को देर से पूरक आहार देने से उसका विकास धीमा हो जाता है या रूक जाता है। इससे बच्चे में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने की संभावना बढ़ जाती है और वह कुपोषित हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग में शिशु स्वास्थ्य के उप संचालक एवं राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. वी.आर. भगत ने बताया कि जन्म के छह माह तक मां का दूध ही बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार माना जाता है। (Child Mental Development)

मां का दूध न सिर्फ पचने में आसान होता है, बल्कि इससे नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। लेकिन छह माह के बाद सिर्फ स्तनपान से बच्चे के आवश्यक पोषण की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसके बाद बच्चे के भोजन में अर्द्धठोस व पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। स्तनपान के साथ-साथ छह माह की उम्र पर बच्चे को मसला हुआ अर्द्धठोस आहार दो-तीन बड़े चम्मच दिन में दो-तीन बार दिया जाना चाहिए। सात-आठ माह में स्तनपान के साथ ही अर्द्धठोस आहार की मात्रा 250 मिली की कटोरी का दो-तिहाई भाग दिन में तीन बार देना चाहिए। (Child Mental Development)

नौ से 11 माह के शिशु को अर्द्धठोस आहार की मात्रा 250 मिली की कटोरी का तीन-चौथाई दिन में तीन बार एवं एक-दो बार नाश्ता भी देना चाहिए। 12 से 24 माह के बच्चों को जरूरत के हिसाब से अर्द्धठोस आहार और घर में बनने वाला खाना 250 मिली की पूरी कटोरी दिन में तीन बार, दो बार नाश्ता एवं स्तनपान कराया जाना चाहिए। साथ ही भोजन में चतुरंगी आहार (लाल, सफेद, हरा और पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल तथा दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाना चाहिए। इनमें भोजन में पाए जाने वाले आवश्यक तत्व कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज पदार्थ, रेशा और पानी जरूर होना चाहिए। (Child Mental Development)

संक्रमण से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार जरूरी

शुरूआती दो सालों में जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वह खांसी, जुकाम, दस्त जैसी बीमारियों से बार-बार ग्रसित होता है। बच्चे को इन संक्रमणों से बचाने और लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। अगर छह माह के बाद बच्चा सही ढंग से ऊपरी आहार नहीं ले रहा है तो वह कुपोषित हो सकता है और कुपोषित बच्चों में संक्रमण आसानी से हो सकता है। बच्चों को ताजा व घर का बना हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए।

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