मालीडीह के फूलों से महका मुंबई, बेंगलुरु और नागपुर, पढ़ें पूरी खबर

Malidih Flowers: जेहन में किसी फूल का ख्याल आते ही उसकी महक से मन भर जाता है, लेकिन उसकी महक से अगर पैसे भी मिलने लगे तो समझिए जिंदगी ही महकने लग जाती है। महासमुंद के मालीडीह एक छोटा सा गांव है। यहां के किसान अरूण चंद्रकार वैसे तो एक परंपरागत किसान है, लेकिन कुछ साल पहले प्रायोगिक तौर पर कुछ अलग करने की सोची और फूलों की खेती की तरफ हाथ अजमाया। उद्यान विभाग के अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर गुलाब की खेती करना शुरू किया। शुरुआत में 400×400 वर्ग मीटर क्षेत्र में गुलाब के पौधे लगाए। इसके लिए उद्यानिकी विभाग से पॉली हाऊस योजना का लाभ भी लिया। उनके बेटे अमर चंद्राकर ने भी पिता के कार्य को आगे बढ़ाते हुए आवश्यक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण लेकर इस खेती को व्यावसायिक रूप देकर आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

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उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत पैक हाऊस निर्माण का लाभ भी लिया। साथ ही समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन लेते रहे। फूलों में आमदनी को देखते हुए युवा किसान अमर चंद्राकर ने एक-एक एकड़ क्षेत्र के दो स्थानों पर झरबेरा फूल की खेती 2020-21 में शुरू किया। आज झरबेरा की खेती से वे प्रति माह लगभग एक लाख रुपए की बचत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 6 एकड़ क्षेत्र में फूलों की खेती की योजना है। आज 35 मजदूर उनके पॉली हाऊस में काम कर रहे हैं, जो प्रतिदिन कटाई-छटाई और दवाई देने का काम करते हैं। (Malidih Flowers)

उन्होंने बताया कि उनके फूल प्रति नग कम से कम ढाई रुपए से लेकर 17 रुपए तक की दर से रायपुर, मुंबई, नागपुर, कोलकाता, बेंगलुरु जैसे महानगरों में विक्रय किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी एक क्षेत्र में सेवंती फूल लगाया गया है, जिसका नवंबर महीने से उत्पादन शुरू हो जाएगा। अमर चंद्राकर वैसे तो बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग है, लेकिन नौकरी का मोह त्याग कर मुनाफे की इस खेती को ही नौकरी मानकर कार्य कर रहे हैं। साथ में सामाजिक कार्यां में भी हाथ बटा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांव में रहकर ही गांव की सेवा कर और फूलों की खेती से मैं संतुष्ट हूं। उन्होंने राज्य शासन को इस अवसर के लिए धन्यवाद भी दिया है। (Malidih Flowers)

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