जासूसी के शक में 8 महीने ‘जेल’ में रहा कबूतर, अब हुई रिहाई, जानें वजह

मुंबई: कबूतरों की गिनती दुनिया के सबसे खूबसूरत और समझदार पक्षियों में होती है, जिन्हें अगर अच्छे से ट्रेनिंग दी जाए तो वो कोई भी काम कर सकते हैं. पहले के जमाने में राजा-महाराजा भी चिट्ठियां पहुंचाने के लिए अक्सर कबूतरों का इस्तेमाल करते थे, पर किसी कबूतर को पुलिस गिरफ्तार कर ले, ऐसा मामला तो शायद ही आपने कभी सुना होगा.

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दरअसल, साल 2023 में मुंबई में भारतीय अधिकारियों ने एक कबूतर को पकड़ लिया था और उसे कैद में डाल दिया था. उसपर चीनी जासूस होने का आरोप था. करीब आठ महीने तक कैद में रखने के बाद आखिरकार उसे आजाद कर दिया गया.

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के मुताबिक, मई 2023 में मुंबई में एक बंदरगाह के पास पकड़े जाने के बाद अधिकारियों ने कबूतर को हिरासत में ले लिया था. बताया गया था कि कबूतर के पैरों में दो छल्ले बंधे हुए थे, जो स्पष्ट रूप से चीनी भाषा में थे. अधिकारियों को शक हुआ कि उस कबूतर का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा रहा है, ऐसे में उन्होंने उसे बंदी बना लिया और बाद में उसे मुंबई के बाई सकरबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल फॉर एनिमल्स में भेज दिया गया. हालांकि आठ महीने बाद पता चला कि कबूतर जासूसी नहीं कर रहा था बल्कि वह ताइवान का एक मासूम पक्षी था, जो उड़कर भारत आ गया था.

कबूतरों को बनाया जाता था जासूस
असल में कबूतरों का जासूसी और युद्ध में इस्तेमाल किए जाने का इतिहास रहा है. इनका इस्तेमाल पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा मैसेज भेजने के लिए किया गया था. मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, गुस्ताव नामक कबूतर ब्रिटेन में डी-डे की पहली खबर लेकर आया था. फिर सीआईए द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को सार्वजनिक किए जाने के बाद शीत युद्ध के दौरान के जासूस कबूतरों के रहस्य भी उजागर हो गए थे. 1960 और 70 के दशक की फाइलों से पता चला था कि कैसे सोवियत संघ के अंदर संवेदनशील स्थलों की तस्वीरें खींचने वाले गुप्त मिशनों के लिए कबूतरों को प्रशिक्षित किया गया था.

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