मछली पालन के प्रति बढ़ रहा युवाओं का रूझान, पढ़ें सुजीत की सफलता की कहानी

Fish Farming : छत्तीसगढ़ में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने। 40 से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी, राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं और बढ़ते फायदे के चलते पढे़ लिखे युवाओं का भी मछली पालन की ओर रूझान बढ़ा है और वे उसमें भविष्य देखने लगे हैं।

Fish Farming में लाखों की आमदनी

बस्तर विकासखण्ड के छोटे से गांव भरनी के युवा सुजीत प्रजापति ने मछलीपालन का व्यवसाय कर लाखों की आमदनी की है। सेवानिवृत्त विद्युत लाईनमेन के 24 वर्षीय पुत्र सुजीत प्रजापति ने पाॅलिटेक्निक की पढ़ाई के बाद मछलीपालन में रुचि दिखाई। मछलीपालन की नई तकनीक बाॅयोफ्लाॅक को देखकर सुजीत इस व्यवसाय के प्रति आकर्षित हुए और तीन वर्ष पूर्व उन्होंने इसे व्यवसाय के रूप में अपनाने का निश्चय किया। इस दौरान उन्होंने बीबीए की पढ़ाई भी जारी रखी।

यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी ने 71 हजार युवाओं को दिया अपॉइंटमेंट लेटर, कहा- अभी लाखों लोगों को मिलेगा फायदा

उन्होंने तीन बाॅयोफ्लाॅक टैंक के साथ व्यवसाय की शुरुआत की। बिलकुल नई तकनीक तथा कोई मार्गदर्शक के नहीं होने के कारण पहले वर्ष उन्हें व्यवसाय में नुकसान हुआ, मगर उन्होंने हार नहीं मानी और व्यवसाय को जारी रखने का निर्णय लिया। दूसरे साल अनुभव बढ़ने के साथ उन्हें लाभ मिलने लगा।

Fish Farming

मत्स्यपालन विभाग ने किया सहयोग

सुजीत के मछलीपालन के प्रति रुचि को देखते हुए मत्स्यपालन विभाग ने भी सहयोग किया। इसके बाद सुजीत ने सात बाॅयोफ्लाॅक टैंकों में मछलीपालन प्रारंभ किया। इसकी लागत लगभग साढ़े सात लाख रुपए आई। विभाग द्वारा 40 फीसदी अनुदान दिया गया, जिससे सुजीत को मात्र साढ़े चार लाख रुपए खर्च करना पड़ा। पिछले वर्ष सुजीत ने मात्र 40 हजार रुपए के मछली बीज से लगभग नौ लाख रुपए से अधिक की मछली तैयार की।

सुजीत के अनुभवों का दूसरे किसान भी उठा रहे लाभ

मछलीपालन के खर्च को जोड़ भी दिया जाए, तब भी उन्होंने लगभग चार लाख रुपए की आय प्राप्त की। अब सुजीत के अनुभवों का लाभ दूसरे किसान भी उठा रहे हैं और उनके मार्गदर्शन में मछली की खेती कर रहे हैं। सुजीत भी अब मछलीपालन के साथ ही उसके चारा उत्पादन का व्यवसाय भी प्रारंभ करने की योजना बना रहे हैं, ताकि क्षेत्र के मछलीपालक किसानों को मछली चारा के लिए दूसरे क्षेत्रों पर निर्भर न रहना पड़े।

सुजीत अपनी इस सफलता के लिए मछलीपालन विभाग के साथ ही अपने माता-पिता और भाई को श्रेय देते हैं। सुजीत ने कहा कि व्यवसाय की शुरुआती असफलता के बावजूद माता-पिता और भाई ने पूरा समर्थन दिया। जिससे उनके भीतर कभी भी निराशा नहीं आई और परिश्रम व अनुभव से इस व्यापार में लाभ प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि वे तिलापिया और पंगेशियस मछली का पालन कर रहे हैं। जिसकी तेजी से वृद्धि होने के कारण यह अत्यंत लाभदायक है।

यह भी पढ़ें : भारत और न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों का रायपुर में जोरदार स्वागत

Fish Farming : क्या है बायोफ्लॉक तकनीक

उल्लेखनीय है कि बायोफ्लॉक तकनीक एक कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला मछली पालन का उन्न्त तरीका है, जिसमें बड़े बड़े टैंक में मछली पालन किया जाता है। इन टैंकों में पानी भरने, गंदा पानी निकालने, पानी में ऑक्सीजन देने की व्यवस्था होती है। इस तकनीक के तहत टैंक में मछलियों द्वारा छोड़े गए अपशिष्ट पदार्थ जैसे अमोनिया, नाइट्रेट और नाइट्राइट को बैक्टीरिया की मदद से प्रोटीन सेल में तब्दील कर दिया जाता है, जो मछलियों के लिए पोषण का काम करता है। इस तकनीक में कार्बन और नाइट्रोजन की मात्रा सदैव संतुलन में रहती है, जिससे मछलियों को वृद्धि करने का पूरा मौका मिलता है।

बायोफ्लॉक बैक्टीरिया की तकनीक के इस्तेमाल से ना सिर्फ एक तिहाई फीड की बचत होती है बल्कि पानी और श्रम का खर्चा भी सामान्य मछली पालन के मुकाबले कम आता है। इससे मछलियों की गुणवत्ता बेहतर रहती ही है, साथ ही दाम भी बाजार में अच्छे मिल जाते हैं। इस विधि से थोड़ी निगरानी के साथ कम जगह में भी सफलतापूर्वक मछली पालन किया जा सकता है।

Related Articles

Back to top button