छत्तीसगढ़ के इस गांव में नहीं मनाई जाती होली, ग्रामीणों को सताता है देवी का खौफ, जानें हैरान कर देने वाली कहानी

Holi 2023 : देशभर में होली की तैयारियां शुरू हो चुकी है। 8 मार्च को लोग एक दूसरे पर रंग और गुलाल लगाएंगे। लेकिन छत्तीसगढ़ में एक अनोखा गांव है। जहां पिछले कई दशकों से होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। यहां ग्रामीण ना तो होलिका दहन करते हैं और ना ही रंग गुलाल खेलते हैं। त्यौहार में यहां के लोगों की दिनचर्या सामान्य दिनों की तरह होती है। ग्रामीण त्यौहार के दिन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर परिवार और गांव की सुख-शांति, समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।

यह भी पढ़ें : होली पर अगर किसी ने भी की महिलाओं से छेड़छाड़, तो भारतीय दंड सहिता के तहत होगी सख्त कार्रवाई

दरअसल, सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की बरमकेला ब्लॉक में एक गांव ऐसा है। जहां कई वर्षों से न तो रंगों और खुशियों का ये त्यौहार मनाया जाता है और न ही होलिका दहन किया जाता है। ये बात सुनने में भले ही अटपटी लगे, लेकिन ये सच है।

Holi 2023 : होली खेलने पर देवी होती है नाराज

गांव के पुराने लोगों की मानें तो यहां ऐसी मान्यता है कि वर्षों पहले होलिका दहन के दौरान गांव के एक व्यक्ति को शेर उठाकर ले गया था और होलिका दहन से क्षेत्र में फसल नहीं होती। गांव के लोग ऐसा करते हैं तो उनके गांव में विराजमान देवी नाराज हो जाती हैं। माता किसी से नाराज न हों और गांव के सभी लोगों पर उनकी कृपा बनी रहे, इसलिए ग्रामीण पिछले कई सालों से यहां पर होली नहीं जलाते।

सदियों से नहीं मनाया त्यौहार

इसी को परंपरा मानते हुए पूरा गांव इस तरह सादगी से इसका पालन करता है। जानकारी के अनुसार, जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर स्थित बरमकेला ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले खम्हरिया और केरमेली गांव के 250 परिवार के लोग बीते कई सालों से न तो होलिका दहन करते हैं और न ही रंगों का पर्व मनाते हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि जब से वो पैदा हुए हैं। तब से उन्होंने गांव में कभी भी होलिका जलते नहीं देखी और न ही किसी को होली पर्व मनाते देखा।

यह भी पढ़ें : अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस विशेष ! हर भारतीय महिला के पास हैं ये अधिकार, पर ज्‍यादातर को नहीं है इसकी जानकारी

Holi 2023 : एक बार तोड़ी थी परंपरा

बड़े बुजुर्गों का कहना है कि, एक बार कभी परंपरा को तोड़कर होली जलाने का प्रयास किया भी गया था। जिसके चलते पूरे गांव में उस वर्ष फसल नहीं हुई और होलिका दहन के दूसरे दिन एक युवा की असमय मौत हो गई थी। जिसके बाद लोगों को समझ आया कि गांव की देवी नाराज हो गई हैं। लोगों ने जाकर माता के दर पर प्रार्थना की और आगे से ऐसा ना करने का संकल्प लिया। तब से लेकर अब तक लोग अपने संकल्प का पालन करते हुए होली का पर्व नहीं मनाते।

Related Articles

Back to top button