5 बार असफल हुए फिर भी नहीं मानी हार, 6वीं बार में भारतीय सेना में जाने का सपना हुआ पूरा

Lakshminarayan dream: अगर मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता है। ऐसी ही एक कहानी है कोंडागांव जिले के केशकाल विकासखंड के एक छोटे से गांव बसंतपुरी में रहने वाले एक किसान के बेटे जिसने अपनी मेहनत के दम पर अपने सपनों को हकीकत में बदल दिया। वह इस मुकाम को हासिल करने से पहले कई बार असफल हुआ और उसके रास्ते में कई रोड़े भी आए, लेकिन उसने हार नहीं मानी और आखिरकार वह अपने सपनों को पूरा करने में सफल रहा।

ऐसे शुरू हुआ भारतीय सेना में जाने का सफर

हम बात कर रहे है असम राइफल में राइफलमैन पद पर सेलेक्ट हुए लक्ष्मीनारायण की। वह आर्मी में जाने वाले अपने गांव से पहले युवा हैं। उन्होंने इस परीक्षा में 46 वां रैंक हासिल किया और अगले महीने से असम में अपना प्रशिक्षण शुरू करने वाले है। लक्ष्मीनारायण के पिता श्री बिसरू राम एक साधारण किसान हैं। लक्ष्मी नारायण जब 9 वीं में थे तब उन्होंने एनसीसी ज्वॉइन किया तभी से उन्हें भारतीय सेना में जाने की इच्छा हुई। वह 2 सालों तक एनसीसी से जुड़े रहे इस दौरान उन्हें देश प्रेम, राष्ट्र की एकता, धर्मनिरपेक्ष, अनुशासन और बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण आदि की शिक्षा प्राप्त हुई। जिससे सेना में जाने की उनकी इच्छा और दृढ़ होती गई। (Lakshminarayan dream)

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उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई आर्ट्स विषय में महेश बघेल दंडकारण्य कॉलेज केशकाल से पूर्ण किया। इसी दौरान 2017 में उन्होंने एनएसएस ज्वाइन किया और अब तक वह इससे जुड़े हुए हैं। एनएसएस से जुड़ने के बाद से उनमें काफी परिवर्तन आया इस दौरान उनमें बौद्धिक विकास, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट, आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता आदि गुणों का विकास हुआ। जो आगे चलकर उनके सेना में जाने के सपने को पूरा करने में मील का पत्थर साबित हुआ। (Lakshminarayan dream)

लगातार मिलती रही असफलता, लेकिन नहीं मानी हार

लक्ष्मीनारायण बताते हैं कि उनका यह सफर आसान नहीं रहा। वह एक साधारण किसान परिवार से थे। पैसे की कमी के कारण सेना में भरती होने के लिए उन्होंने कहीं बाहर से प्रशिक्षण नहीं लिया, वह यूट्यूब से देख कर ही परीक्षा और फिजिकल की तैयारी किया करते थे। लक्ष्मीनारायण ने साल 2017 और 2018 में जीडी (जनरल ड्यूटी) का एग्जाम दिया लेकिन असफल रहे। 2019 में ट्रेडमैन और टेरीटोरियल आर्मी का एग्जाम दिया लेकिन यहाँ भी उन्हें सफलता नहीं मिली। 2020 में उन्होंने सीडीएस (कॉमन डिफेंस सर्विस) की तैयारी शुरू किया। 2021 में पुनः जीडी का एग्जाम दिया, लेकिन यहां भी सफलता नहीं मिली। (Lakshminarayan dream)

कई बार रिमेडिकल के लिए दिल्ली और जबलपुर जाना पड़ता था इस दौरान पैसों की कमी के कारण खेत को भी गिरवी रखना पड़ गया। उन्हें मिल रही इन असफलताओं से अब उनको लगने लगा कि वे अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकते हैं। वह मानसिक रूप से पूरी तरह टूट गए और डिप्रेशन में चले गए थे।

ऐसे मिली सफलता, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम से मिला फायदा

जनवरी 2021 में युवोदय कोंडानार और यूनिसेफ से जुड़े जहाँ उनका पहला कार्यकम ‘आओ बात करें‘ रहा, जहां लोगों से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चर्चा की गई, जिससे उन्हें भी बहुत फायदा मिला। कैसे मन को नियंत्रण में रखे, हमेशा सकारात्मक और ऊर्जावान रहे। इस दौरान उन्होंने युवोदय कोंडानार और यूनिसेफ के कई सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लिया। यहाँ से उनके जीवन में एक बार पुनः सकारात्मक परिवर्तन आया उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने फिर एग्जाम की तैयारी करना प्रारंभ कर दिया। इसमें उनके परिवार, साथ में तैयारी करने वाले दोस्तों और युवोदय के साथियों का बहुत योगदान रहा। (Lakshminarayan dream)

उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की, रोज सुबह 4 बजे से 7 बजे तक फिजिकल की तैयारी और बाकी समय यूट्यूब से एग्जाम की पढ़ाई करते थे। 2021 में उन्होंने असम राइफल में राइफल मैन के पद के लिए एग्जाम दिया तथा 2022 में फिजिकल और मेडिकल भी क्लियर हो गया। इस तरह 5 बार असफल होने के बाद 6 वीं बार लक्ष्मीनारायण अपने सपनों को साकार करने में सफल हुए। उनकी इस सफलता में एनसीसी, एनएसएस, युवोदय कोंडानार, यूनिसेफ, उनके परिवार और दोस्तों का बहुत योगदान रहा। इस सफलता से लक्ष्मीनारायण और उसका पूरा परिवार बहुत ही खुश है।

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