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Saria Lastes Price: सरिया की कीमतों में फिर दर्ज हुई गिरावट, जानिए क्या है नए रेट

Saria Lastes Price: देश में सरिया और घर निर्माण में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों की कीमतों में फिर भारी कमी आई है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर और रायगढ़ में सामान्य ब्रांड 66 हजार रुपये टन तक आ गए हैं। बड़े ब्रांड वाली सरिया 94 हजार रुपये टन से घटकर 93 हजार रुपये प्रति टन आ गई है। इसमें भी करीब एक हजार रुपये टन की गिरावट दर्ज की गई है। कारोबारियों का कहना है कि सरकार के ध्यान देने से हफ्तेभर में बड़ा अंतर देखने को मिला है। डिमांड लगातार घट रही है। आने वाले दिनों में बारिश का सीजन भी शुरू होने वाला है। इधर, एक्सपोर्ट डयूटी बढ़ने से विदेश में आपूर्ति कम हो गई है। इसका असर इस्पात बाजार पर दिख रहा है। खपत कम होने से अब इस्पात डंप होने की कगार पर आ चुका है। ऐसे में सरिया लगातार पिघल रही है।

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बता दें कि टाटा, जिंदल जैसे प्रमुख ब्रांड में दस हजार रुपये टन की गिरावट बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। अभी तक इनके रेट 92 हजार से 93 हजार रुपये टन थे, जो अब घटकर 82 हजार रुपये टन रह गए हैं। वहीं सरिया के लोकल ब्रांड रायपुर और रायगढ़ की कीमत 65 हजार से घटकर 63 से 64 हजार रुपये टन रह गई है। गैलेंट के भाव में भी एक हजार रुपये टन की कमी आई है। सरिया के रेट 72 हजार रुपये टन से घटकर 68 हजार रुपये टन तक आ गए हैं। अप्रैल माह में इसके भाव 82 हजार रुपये टन तक पहुंच गए थे। (Saria Lastes Price)

सरिया के दामों में कमी दर्ज

सरिया के रेट में लगातार कमी बनी हुई है।। लोकल ब्रांड में एक हजार रुपये की कमी आई है। बड़े ब्रांड अचानक धड़ाम हुए हैं। करीब दस हजार रुपये प्रति टन का अंतर बाजार पर आया है। व्यापारियों का कहना है कि सरिया अभी और नीचे आने वाली है। टाइल्स कारोबारी का कहना है कि भवन निर्माण बंद होने से टाइल्स की बिक्री में 25 प्रतिशत तक गिरावट हो गई है। बिना सीमेंट-रेत के बिना टाइल्स तो लगेगा नहीं। जब बिल्डिंग का काम तेज होगा तो टाइल्स भी बिकेगा।

रेत संकट के कारण सस्ते हो रहे सरिया

बता दें कि एक महीने से रेत का संकट गहराता जा रहा था, लेकिन अब इसकी उपलब्धता नहीं के बराबर हो गई है। इसकी वजह से रेत का दाम डेढ़ से दोगुना हो गया, तो निर्माण कार्य ठप हो गए हैं। इसका असर यह हुआ कि सीमेंट और सरिया का कारोबार भी चौपट हो गया है। सरकारी और निजी भवन निर्माण के साथ सड़क समेत पुल का काम भी बंद हो गया है, जिससे बर्मामाइंस स्थित बैचिंग प्लांट भी बंद हो गया है। यहां ढलाई के लिए सीमेंट-रेत का गीला मिश्रण तैयार किया जाता था। इन सब वजहों से सीमेंट और सरिया की बिक्री लगभग आधी हो गई है।

आने वाले दिनों में और हो सकता है गिरावट

एक लोहा कारोबारी ने बताया कि रेत के बिना सीमेंट का कोई काम ही नहीं होगा। एक माह के अंदर आधे से भी कम बिक्री हो गई है। पहले जहां हर दिन 50 बोरी बेचता था, वह अब 25 बोरी बिकना भी मुश्किल हो गया है। टाटा टिस्कान रड की खुदरा कीमत भी 15 रुपये किलो घट गई है। इसके बावजूद खरीदार नहीं मिल रहे हैं। डिमना रोड मानगो के कारोबारी ने बताया कि लोकल रड के खुदरा दाम में 22 रुपये तक गिरावट हुई है। अन्य ब्रांड की सप्लाई भी कम हो गई है, क्योंकि अब दुकानदारों के पास भी रड का स्टाक काफी हो गया है।

कीमतों में गिरावट से जनता को बड़ी राहत

वहीं मानगो के कारोबारी ने बताया कि सीमेंट के दाम में एक माह के अंदर सीधे-सीधे 22 रुपये तक कमी हो गई है। सबसे बड़ी बात है कि दाम कम हुए, लेकिन बिक्री भी आधी हो गई है। यदि बालू संकट जल्दी दूर नहीं हुआ, तो सीमेंट व रड के दाम में 15-20 रुपये तक और गिरावट हो सकती है। वैसे भी मानसून आने वाला है। इस मौसम में वैसे भी निर्माण का काम कम हो जाता है। हालांकि अब बरसात में भी ढलाई का काम होने लगा है, लेकिन बालू मिले तब तो। पता नहीं कब यह संकट दूर होगा। शहर के टाइल्स कारोबारी का कहना है कि भवन निर्माण बंद होने से टाइल्स की बिक्री में 25 प्रतिशत तक गिरावट हो गई है। बिना सीमेंट-रेत के बिना टाइल्स तो लगेगा नहीं। जब बिल्डिंग का काम तेज होगा, तो टाइल्स भी बिकेगा। फिलहाल रेनोवेशन के कुछ काम चल रहे हैं, जिससे थोड़ी बिक्री हो रही है, लेकिन रेत का संकट बढ़ा तो यह भी बंद हो जाएगा। लगातार हो रही गिरावट से लोगों को राहत मिली है। (Saria Lastes Price)

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