नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित, इस तरह करें पूजा-पाठ

Navratri Ka Athawa Din: नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित है।  मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी माता नारी, शक्ति, सौंदर्य और ऐश्वर्य की देवी मानी जाती हैं। नवरात्रि के आठवें दिन इनकी पूजा की जाती है, महागौरी नाम से प्रतीत होता है, कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी जाती है। अपने भक्तों के लिए यह अनपूर्णा स्वरूप हैं, इन्हें धन वैभव और सुख शांति की देवी कहा गया है। जो लोग नवरात्रि के पूरे नौ दिन व्रत नहीं कर पाते उन्हें पहले और आठवें यानि अष्टमी के दिन व्रत करने से पूरे नौ दिन के व्रत का फल मिल जाता है।

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पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक माता ने कठोर तपस्या की थी। तपस्या के दौरान मां सिर्फ कंद मूल और पत्ते खाकर रहने लगी बाद में केवल हवा पीकर तपस्या करने लगी। तपस्या करते समय धूप, मिट्टी, सर्दी, गर्मी और बरसात सारे मौसम को झेलने के कारण इनका शरीर काला पड़ गया था। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें गंगा स्नान करने के लिए कहा गंगा के पवित्र जल से नहाने के बाद इनका रूप गौर वर्ण हो गया था। तबसे पार्वती माता महागौरी कहलाने लगी। इससे यही ज्ञात होता है, कि मां महागौरी पार्वती का ही एक रूप हैं। (Navratri Ka Athawa Din)

मां का स्वरूप काफी उज्वल, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। महागौरी माता को संगीत प्रिय है। माता की सवारी सफेद वृषभ यानि बैल है। मां का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में और नीचे के दाहिने हाथ में शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। दूसरी तरफ ऊपर के बाएं हाथ में शिव का प्रतीक डमरू लिए हैं, और नीचे के बाएं हाथ में वर मुद्रा है, इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। मां महागौरी की पूजा अर्चना करने से पूर्वजन्म के पाप नष्ट होते हैं। दुख दरिद्रता और सारे कष्ट मिट जाते हैं महागौरी की आराधना से पारिवारिक कलह और क्लेश खत्म होते हैं। (Navratri Ka Athawa Din)

नवरात्रि के आठवें दिन सवेरे जल्दी उठकर स्नान करें पीले वस्त्र मां को अर्पित करें और उनके समक्ष दीप जलाएं मां का ध्यान करें पूजा में माता को सफेद या पीले फूल अर्पित करें महागौरी माता को नारियल का भोग लगाएं। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विधान है। इस दिन काले चने की सब्जी पूरी और हलवा बनाकर माता को भोग लगाएं इसके बाद कन्या को भोजन कराना चाहिए, कन्या पूजन के बाद उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए बहुत से लोग नवमी को भी कन्या भोजन कराते हैं, लेकिन अष्टमी के दिन कन्या भोजन ज्यादा अच्छा माना जाता है, वैसे तो नौ कन्या होनी चाहिए अगर नौ कन्या नहीं मिलती हैं, तो आप दो कन्या को भी भोजन करा सकते हैं। इसके बाद मां का ध्यान कर के कन्याओं का आर्शीवाद लें। बता दें कि नवरात्रि के आठवें दिन ही हवन भी होता है। (Navratri Ka Athawa Din)

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