दंतेवाड़ा के एक गांव के करीब मिले रोशनी करने वाले Para Bomb, जांच शुरू

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के एक गांव में पैरा बम (Para Bomb) मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षा बल रात में रोशनी के लिए पैरा बम का इस्तेमाल करते हैं। दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिन पैरा बम (Para Bomb) की मियाद पूरी हो गई थी उसे बृहस्पतिवार-शुक्रवार की रात को डंकनी नदी के किनारे नष्ट करने की कार्रवाई की गई थी। अधिकारियों ने आशंका जताई है कि गांव के करीब मिले पैरा बम उन्हीं बम में से हैं।

दंतेवाड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि एक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने शुक्रवार को डंकिनी नदी के किनारे मांझीपदार गांव के करीब कुछ बम के गोले होने की जानकारी दी थी। सूचना के बाद स्थानीय पुलिस और बम निरोधक दस्ते (बीडीएस) के एक दल को तत्काल मौके पर भेजा गया था।

तिवारी ने बताया कि बाद में दल ने गोलों को बरामद कर लिया और सुरक्षित स्थान पर उन्हें नष्ट कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा शहर से लगे बालूद गांव के करीब 28 और 29 अप्रैल की दरम्यानी रात को पुलिस ने मियाद खत्म हो चुके बमों को नष्ट किया था। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि गांव के करीब मिले बम उन्हीं में से थे।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि उच्च अधिकारियों की अनुमति मिलने के बाद मियाद पूरी हो चुके आंसू गैस के गोले और रोशनी करने वाले बम को नष्ट करने की कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा कि हो सकता है इस दौरान कुछ गोले दागे गए हों और आसपास के इलाके में गिर गए हों।

उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) की अध्यक्षता में इस घटना की जांच शुरू की गई है। इस संबंध में अधिक जानकारी जांच के बाद ही मिल सकेगी।

बस्तर क्षेत्र में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में कम रोशनी या अंधेरे की स्थिति में नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा पैरा बम का इस्तेमाल किया जाता है। बम में विस्फोट होने के बाद इससे तेज रोशनी निकलती है जिससे नक्सलियों की स्थिति के बारे में पता लगाने में मदद मिलती है।

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