पंडित स्वराज्य ने अपने समय से किया संवाद: डॉ. चित्तरंजन कर

Pandit Swarajya Prasad Trivedi: रायपुर में प्रेस क्लब के सहयोग से छत्तीसगढ़ साहित्य और संस्कृति संस्थान ने छत्तीसगढ़ मित्र के साथ पंडित स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी के जयंती समारोह का आयोजन किया। इस दौरान मुख्य अतिथि डॉक्टर चित्तरंजन कर ने कहा कि पंडित स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने अपने समय से संवाद किया और पत्रकारिता, साहित्य समाज के मध्य संतुलन समेत समन्वय का संदेश दिया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ भाषाविद डॉ. चित्तरंजन कर ने कहा कि साहित्य पत्रकारिता को नैतिक संस्कार देता है। आज के पत्रकार साहित्य से दूर हो रहे हैं। इसलिए आज की पत्रकारिता भाषा और मूल्य के स्तर पर कमजोर हो गई है। पंडित स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने साहित्य के संस्कार तीन पीढ़ियों को रोपित किए।

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छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता ने हिंदी पत्रकारिता को अपने पुरोधा पत्रकारों के कारण संवर्धन किया है। पंडित त्रिवेदी ने अपने काल को जिया है। वे काल से संवाद करते थे। इसलिए वे कालजयी हैं। समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ व्यंग्यकार-पत्रकार गिरीश पंकज ने कहा कि परंपरा ने पीढ़ी दर पीढ़ी छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता और साहित्य को समृद्ध किया है। आज अपनी परंपरा को ही अस्वीकार करने का युग है। यही कारण है कि पत्रकारिता से भाषा, साहित्य, विचार, गंभीरता, मूल्य और नैतिकता का पतन हो रहा है। पंडित त्रिवेदी जी से हर युग ने कुछ न कुछ अच्छा ग्रहण किया है। उनकी व्यंग्य चेतना यथार्थ की तमाम संवेदनाओं से सरोकार रखती थी। उनके अंदर व्यंग्य की धारा बहती थी। (Pandit Swarajya Prasad Trivedi)

अच्छा पत्रकारिता बनने के लिए पत्रकार में व्यंग्य की चेतना होनी चाहिए। पंडित त्रिवेदी की व्यंग्य कविताएं भाषण के पौधे हरियाए में संकलित हैं, वे विसंगतियों का सूक्ष्म विवेचन करते थे। प्रेस क्लब के अध्यक्ष दामू आम्बेडारे ने कहा कि प्रेस क्लब ने सदैव अपने पुरोधा पत्रकारों का सम्मान किया है। उन्होंने अपने स्वभाव से भी लोगों का दिल जीता। वे स्वस्थ पत्रकारिता के संस्थापक रहे। वरिष्ठ पत्रकार और संपादक आसिफ इकबाल ने कहा कि अपने अनुभव बताते हुए कहा कि वे एक कुशल जनसंपर्क अधिकारी भी थे। (Pandit Swarajya Prasad Trivedi)

युवा पत्रकारों को वे अनेक मंचों पर लेकर गये। महाकोशल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने पत्रकारों को गहराई से रपट लिखना सिखाया। संपादक और लेखक आशीष सिंह ने कहा कि पंडित स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह और हरि ठाकुर के साथ काम किया था। हमारे पुरोधा साहित्यकारों ने पंडित त्रिवेदी की रचनाओं से प्रेरणा प्राप्त की थी। अग्रदूत के समय उन्होंने छत्तीसगढ़ के इतिहास, संस्कृति और परंपरा को साहित्यिक पत्रकारिता में सम्मान दिलाया। (Pandit Swarajya Prasad Trivedi)

प्रारंभ में युवा लेखक और पत्रकार समीर दीवान ने कहा कि आजादी के आंदोलन के समय पंडित स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने अपनी युवा अवस्था को देश की तरुणाई के लिए झोंक दिया। पंडित त्रिवेदी आज की भटकती पत्रकारिता के लिए एक प्रकाश पुंज हैं। डॉ सुधीर शर्मा ने पंडित त्रिवेदी के समग्र योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पंडित त्रिवेदी बहुभाषिक और बहुविधा के रचनाकार थे। अतिथियों का स्वागत शैलेन्द्र कुमार त्रिवेदी, शिरीष त्रिवेदी, सतीश त्रिवेदी, डॉ सुरेश शुक्ला, डॉ वीरेंद्र साहू ने किया।

समारोह में डॉ सुशील त्रिवेदी, डॉ जे आर सोनी, वीरेंद्र पांडेय, डॉ एल एस निगम, डॉ रामकुमार बेहार, डॉ स्नेहलता पाठक, डॉ सुरेश शुक्ला, शैलेन्द्र कुमार त्रिवेदी, प्रदीप जैन, सुरेश मिश्रा, अजय अवस्थी, राघवेन्द्र मिश्रा, डॉ मनोरमा चंद्रा, डॉ सीमा चंद्राकर, डॉ डी के पाठक, शिरीष त्रिवेदी, सतीश त्रिवेदी और डॉ वीरेंद्र साहू उपस्थित थे। ये जानकारी डॉक्टर सुधीर शर्मा ने दी है। (Pandit Swarajya Prasad Trivedi)

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