जानें कैसी है अक्षय कुमार की राम सेतु, क्या दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में कामयाब हो पाएगी ये फिल्म

Ram Setu Review : अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म राम सेतु (Ram Setu Review) 24 अक्टूबर को रिलीज हो गई है। अक्षय कुमार की फिल्म ‘राम सेतु’ माइथोलॉजिकल पुल को केंद्र में रखकर बुनी गई है। ‘राम सेतु’ (Ram Setu Review) के ट्रेलर ने जनता में अच्छा माहौल बनाया था और अब फिल्म भी थिएटर्स में पहुंच चुकी है।

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Ram Setu Review : क्या है फिल्म की कहानी

ये कहानी है रामसेतु की जिसे सरकार गिराना चाहती है। क्योंकि वो एक बड़े बिजनेसमैन के एक बड़े प्रोजेक्ट के आड़े आ रहा है। अब Archaeologist और नास्तिक अक्षय कुमार से ये बिजनेसमैन चाहता है कि वो साबित कर दे कि रामसेतु को श्रीराम ने नहीं बनवाया। वो तो अपने आप बना है यानि प्राकृतिक है। अब अक्षय कुमार क्या ये करेंगे और करेंगे तो कैसे करेंगे। क्या श्रीराम के सेतु का अस्तित्व साबित हो पाएगा और होगा तो कैसे होगा। यही इस फिल्म की बेसिक कहानी है।

Ram Setu Review : फिल्म की मजबूत कड़ी

इस फिल्म की सबसे बड़ी मजबूती है कि इस फिल्म से श्रीराम का नाम जुड़ा है और यही इस फिल्म की इकलौती मजबूती है। इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी है कहानी और स्क्रीनप्ले जो और बेहतर हो सकता है। काफी बेहतर हो सकता था। कहीं-कहीं फिल्म डॉक्यूमेंट्री लगती है। फिल्म में एंटरटेनमेंट की कमी लगती है।

कहानी को थोड़ा और अच्छे से कहा जाता तो आप इस फिल्म से और जुड़ते। यहां तक कि क्लाइमैक्स वाला सीन भी आपको उस तरह से बांध नहीं पाता। वैसे इमोशन नहीं जगा पाता जैसी आप उम्मीद करते हैं। फिल्म की एक अच्छाई ये है कि फिल्म क्लीन है। आप आराम से फैमिली के साथ देख सकते हैं। और बच्चों को ये फिल्म दिखानी भी चाहिए। ताकि उन्हें श्रीराम और रामसेतु के बारे में पता चले। फिल्म की लोकेशन अच्छी हैं। ग्राफिक्स ठीक ठाक है।

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एक्टिंग और डायरेक्शन

अक्षय ने इस रोल में निभाया अच्छे से हैं। जैकलीन फर्नांडिस ठीक हैं और फिल्म में वो ना भी होतीं तो कोई फर्क नहीं पड़ता। नुसरत भरुचा के साथ भी यही है। उनका रोल ही कम है। साउथ के एक्टर सत्य देव फिल्म में अहम रोल में हैं और वो इम्प्रेस करते हैं।

फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक शर्मा से उम्मीद ज्यादा थी। जिसे वो पूरी तो करते हैं लेकिन उम्मीदों के मुताबिक नहीं। अभिषेक तेरे बिन लादेन जैसी फिल्में बना चुके हैं। लेकिन यहां उन्होंने स्क्रिप्ट पर लगता है अच्छे से काम नहीं किया। फिल्म आपको जानकारी तो देती है। लेकिन कहीं ना कहीं लॉजिक और आस्था के बीच में वो बैलेंस नहीं बैठा पाती जिसकी उम्मीद थी। फिल्म आप पर पीके या ओह माय गॉड जैसा असर नहीं छोड़ती।

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