मनरेगा मजदूरों को मिला तोहफा, छत्तीसगढ़ में मजदूरी दर में 17 रुपए की बढ़ोतरी, अब 204 की जगह मिलेंगे 221 रुपए

MGNREGA New Wage : छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) श्रमिकों को 1 अप्रैल से प्रतिदिन 221 रुपए की मजदूरी मिलेगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राज्यवार प्रतिदिन मजदूरी की दर का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया गया है।

मनरेगा के तहत काम करने वाले अकुशल हस्त कर्मकारों के लिए छत्तीसगढ़ के लिए 221 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी तय की गई है। यह नई दर 1 अप्रैल से प्रभावी होंगी। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 204 रुपए मजदूरी दर निर्धारित थी। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए इसमें 17 रूपए की बढ़ोतरी की गई है।

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MGNREGA New Wage : अगले महीने से होगा लागू

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत मजदूरी की दरों में बदलाव को लेकर 24 मार्च को नोटिफिकेशन जारी किया था। अब अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए मनरेगा की बढ़ी हुई दरें अधिसूचित कर दी गई हैं। इसका मतलब हुआ कि मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण मजदूरों को 01 अप्रैल 2023 से ज्यादा पैसे मिलेंगे।

इस राज्य में सबसे ज्यादा दर

मनरेगा की दरों में बदलाव के बाद अब हरियाणा में दिहाड़ी मजदूरी सबसे ज्यादा 357 रुपये हो गई है। जबकि 221 रुपये प्रति दिन की मजदूरी के साथ छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश सबसे नीचे हैं। केंद्र सरकार के पास महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) के तहत योजना की मजदूरी की दरों में बदलाव करने का अधिकार है। सरकार ने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया है।

MGNREGA New Wage : यहां सबसे ज्यादा बढ़ी मजदूरी

अगले महीने से मनरेगा की दरों में राज्यों के हिसाब से 07 रुपये से लेकर 26 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। पुरानी दरों और नई दरों की तुलना करें तो राजस्थान में सबसे ज्यादा 10.38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। राजस्थान में मनरेगा की मौजूदा दर 231 रुपये प्रति दिन है, जो अब 01 अप्रैल से बढ़कर 255 रुपये प्रति दिन हो जाएगी।

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ये है मनरेगा का उद्देश्य

केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार की गारंटी देने के लिए इस योजना की शुरुआत साल 2006 में की थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के अकुशल मजदूरों को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों के काम की गारंटी देना है। ताकि इससे होने वाली कमाई से गरीब ग्रामीण परिवारों के जीवन-यापन के स्तर को सुधारा जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस योजना को कई अंतरराष्ट्रीय योजनाओं से सराहना मिल चुकी है।

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