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Sankatmochan Hanuman: इस तरह करें भगवान हनुमान की पूजा, खत्म होंगे सारे दु:ख-दर्द

Sankatmochan Hanuman: मंगलवार का दिन संकटमोचन हनुमान को समर्पित होता है। शास्त्रों के मुताबिक भगवान हनुमान की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी कष्टों का नाश होता है और हनुमान जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा की जाती है। मंगलवार के दिन उपवास/व्रत भी किया जाता है।

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मान्यताओं के मुताबिक अगर आप किसी शारीरिक संकट से जूझ रहे हैं तो आपको इससे मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि कुंडली में मंगलदोष होने पर भी मंगलवार के दिन संकटमोचन हनुमान (Sankatmochan Hanuman) की पूजा करने चाहिए, जिसके बाद जीवन में मंगल ही मंगल होता है। अगर आप किसी प्रकार की परेशानियों से जूझ रहे हैं तो मंगलवार के दिन कुछ विशेष उपाय करने से आपको राहत मिलेगी। मंगलवार के दिन अगर आप बजरंगबाण का पाठ करते हैं तो आपके जीवन से सभी शत्रुओं का नाश होता है। यह पाठ 21 दिन तक एक निश्चित स्थान पर बैठकर किया जाता है।

24 या 26 दिनों तक करना चाहिए पाठ

मंगलवार के दिन हनुमान जी (Sankatmochan Hanuman) के मंदिर में गुड़ और चने का प्रसाद चढ़ाना चाहिए और यह प्रसाद 21 ​मंगलवार तक चढ़ाएं। इसके बाद हनुमान जी को चोला चढ़ाएं, ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक तौर पर पीड़ित है तो उसे मंगलवार के दिन एक पात्र में जल भरकर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने रखना चाहिए। साथ ही हनुमान बाहुक का 21 या 26 दिनों तक पाठ करना चाहिए।

इस मंत्र का करें 108 बार जाप

पाठ पूरा होने के बाद उस जल को ग्रहण करें और वहां दूसरा जल रख दें। अगर आपको जादू-टोना, भूत-प्रेत या अंधेरे से डर लगता है तो आप मंगलवार के दिन संकटमोचन हनुमान जी (Sankatmochan Hanuman) की पूजा करें और ॐ हं हनुमंते नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठकर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से कुंडली में आने वाला मंगल दोष समाप्त होता है। इस तरह आप अपना वक्त और काम एक साथ कर सकते हैं।

भगवान हनुमान की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

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