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Chhattisgarh : बदहाल जीवन जीने के लिए विवश हैं संवरा जनजाति, पढ़ें पूरी ख़बर

Balodabazar Samvara Tribe : बलौदाबाजार से भाटापारा मुख्य मार्ग पर बलौदाबाजार मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर कुकुर्दीबंजर में संवरा डेरा स्थित है। संवरा जनजाति मूलत आदिवासी गोड़ जनजाति है। कुकुर्दीबंजर में संवरा डेरा में लगभग 135 झोपडियां है, जिसमें संवरा जनजाति के लोग निवास करते हैं। जानकारी के अनुसार इस डेरे में 1200 की संख्या में संवरे लोग विवासरत है। संवरा लोग अपने सामाजिक रीति रिवाजों के निर्वहन के लिए अपने मध्य के वरिष्ठ लोगों की एक समिति बनाते हैं।

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वरिष्ठ लोगों के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही संवरा जनजाति के शेष लोग सामाजिक कार्यों को सम्पन्न करते हैं। बता दें कि संवरा जनजाति के लोग बूढा देव की पूजा आराधना करते हैं। कुकुर्दीबंजर में संवरा जनजाति के लोग साल 2014 से अपनी-अपनी झोपड़ियों का निर्माण कर परिवार सहित निवास करते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन्हें मूलभूत सुविधाएं और आवास, पानी, बिजली, शिक्षा की सुविधा समुचित रूप से प्राप्त नहीं हो रही है।

इनके परिवार के लिए प्रसाधन की व्यवस्था भी नहीं है, इनकी झोपडियों के समीप एक डबरी है, जिसमें जो सूखने की ओर अग्रसर है। अभी बहुत ही अन्य थोड़ी मात्रा में पानी बची हुई है, जबकि पूरी गर्मी और अभी ठंड के मौसम के साथ 07 माह शेष है, जहां तक सुविधाओं की बात करें तो पेयजल के नाम पर दो टेप नल सार्वजनिक लगे हुए है, जिसमें से सभी पेयजल प्राप्त करते हैं। आवास बिजली की व्यवस्था भी वर्तमान में समुचित रूप से नहीं है। (Balodabazar Samvara Tribe)

इनके बच्चे पास के ही विद्यालय मे प्राथमिक शिक्षा के लिए जाते हैं। संवरा जनजाति के लोग सूकर (सुअर) पालन करते हैं और कबाड़ इकट्ठा कर बड़े कबाड़ी व्यापारियों को बेचते हैं, जिससे उन्हें आय प्राप्त होती है। उसी से ही वे अपना तथा अपने परिवार से सदस्यों का भरण-पोषण करते हैं। बताया गया है कि इनके बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं हो पाती हैं। इस तरह अब भी संवरा जनजाति के लोग बदहाली में जीवन निर्वहन करने के लिए विवश है। (Balodabazar Samvara Tribe)

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