लोक सेवा आयोग के आड़ में आरक्षित वर्ग के मेरिट को नकारने का कुत्सित प्रयास

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) वर्तमान में सुनियोजित ढंग से विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन कर समय पर बेरोजगार युवक युवतियों को शासकीय सेवा उपलब्ध कराने में सराहनीय कार्य करते आ रहा है। प्रति वर्ष, राज्य सेवा परीक्षा के माध्यम से सैकड़ांे बेरोजगार अपने भविष्य का निर्माण कर शासन की सेवा में योगदान दे रहें हैं। पिछले कुछ वर्षो के परीक्षा परिणाम में यह भी देखा गया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित वर्ग से भी हुआ है जिससे यह परिलक्षित होता है कि लोक सेवा आयोग का चयन प्रणाली सुस्पष्ट, भेदभाव रहित, योग्यता एवं प्रवीणता के आधार पर हो रहा है जिससे इन वर्गो के युवाओं में लोक सेवा आयोग के चयन प्रणाली पर विष्वास पैदा हुआ है।

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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) के वर्तमान अध्यक्ष ने जब से कार्यभार सम्हाला है तब से राज्य सेवा परीक्षा की स्थिति को देखा जाय तो प्रति वर्ष घोषित परीक्षा तिथियों के अनुसार चयन प्रक्रिया पूर्ण किया गया है। मौखिक साक्षात्कार तिथि के अंतिम दिवस में देर रात तक परीक्षा परिणाम स्पष्ट रेंक और चयन होने वाले पदों के विरूद्ध उम्मीदवारों का स्पष्ट नाम सहित सूची जारी की गई है। इसके पूर्व वर्षो में चयन प्रक्रिया समयबद्ध नहीं रहा है। एक परीक्षा का आयोजन एवं परीक्षा परिणाम में दो-दो वर्ष तक का समय लगते रहा है, जिससे युवक युवतियों ने परीक्षा फार्म जमा करना भी कम कर दिये थे। वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 में तीन परीक्षाओं का सुनियोजित संचालित कर योग्यता अनुसार प्रवीणता के आधार पर चयन सूची जारी कर युवाओं को शासकीय सेवा का अवसर उपलब्ध कराना सराहनीय है। केवल राज्य सेवा परीक्षा ही नहीं इन तीन वर्षो में अन्य विभागों के सैकड़ों रिक्त पदों पर विधिवत चयन प्रक्रिया निर्विवाद पूरा किया गया है।

हाल ही में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया, जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के कुछ मेधावी परीक्षार्थियों ने अनारक्षित पदों पर अपना स्थान बना लिया है। इन लोगों के अनारक्षित पद पर चयनित होने के कारण एक तरफा जो अपने आप को अनारक्षित श्रेणी के दावेदार मानते हैं उनके कुछ पद छीन गए और दूसरी तरफ अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को उनके लिए आरक्षित पद से अधिक संख्या में चयनित होने का अवसर मिल गया। वास्तव में अनारक्षित पद किसी के लिए आरक्षित नहीं होता लेकिन इसे कुछ लोग अपने लिए आरक्षित मानते हैं। ऐसे अनारक्षित वर्ग के लोगांे का खेल देखिए कि आरक्षित वर्ग के लोंगों को ही मोहरा बनाकर लोक सेवा आयोग पर आरोप लगाने का जिम्मा सौंप दिया गया है, लेकिन महिनों बाद भी सबूत के नाम पर शुन्य है।

राज्य सेवा परीक्षा में अधिकारियों और नेताओं के बच्चांे का चयन होने की यह पहली घटना नहीं है। चाहे राज्य लोक सेवा आयोग हो या संघ लोक सेवा आयोग, पुराने परिणामों को देखा जावे तो ऐसे कई प्रकरण मिलेंगंे। एक ही घर से एक से अधिक आई. ए. एस. आई. पी. एस.डिप्टी कलेक्टर, डी. एस. पी. तथा अन्य प्रतिष्ठित पदों पर चयनित हुए मिल जाएंगें। तब कोई तकलीफ नहीं थी क्योंकि आरक्षित वर्ग के लोग अनारक्षित सीट पर चयनित नहीं हो पाते थे या फिर चयनित ही नहीं किया जाता था। पूर्व के वर्षो में आरक्षित वर्ग के लोगों को साक्षात्कार में दिए गए नंबरों से इसकी पुष्टी की जा सकती है। इस खेेल की सच्चाई देखंे तो पता चलता है कि इनकी परेषानी अधिकारी और नेताओं के बच्चों के चयन होने से नहीं है, बल्कि इनको तकलीफ इस बात से है कि अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोग अनारक्षित सीट से कैसे चयनित होने लगे हैं।

अनुसूचित जाति /जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों ने इनके खेल को जान लिया है, और इन वर्गो के सामाजिक संगठनों ने फर्जी षिकायत के खिलाफ आन्दोलन करने का मन बना लिया है। साथ ही उन्होने समाज से आव्हान किया है कि आरक्षित वर्ग के लोग दूसरों के लिए अपने कंधे का इस्तेमाल करने न देवें। जब अन्य पिछड़े वर्ग को शासकीय सेवाओं में आरक्षण देने के लिए देष में मंडल कमीषन लागू किया गया तो पिछड़े वर्ग के विकास में विरोधी तत्वों ने इसके विरोध में पूरे देष को अषांत करने की कोषिष की और आत्मदाह तक करने का दिखावा किया। उस समय भी पिछड़े वर्ग के लोगों को मोहरा बनाया गया। तब पिछड़े वर्ग के लोगों को अपने हितों को समझने में देर लगी।

लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आरक्षित वर्ग को दिए गए आरक्षण के खिलाफ आन्दोलन और धरना प्रदर्षन तो इनके आदत में शुमार है। अनारक्षित वर्ग मंे गिने जाने वाले लोगों द्वारा पिछड़े समाज पर अपना वर्चस्व बनाए रखने का लगातार प्रयास किया जाता रहा है। वे कभी नहीं चाहते कि कोई अन्य समाज का व्यक्ति उनके समकक्ष पहॅुचे। लोक सेवा आयोग की परीक्षा में आरक्षित उम्मीदवारों का अनारक्षित श्रेणी में चयन होना इनको पद हानि से बढ़कर मानहानि प्रतीत हो रहा है, और यही कारण है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग पर तरह-तरह के आरोप लगाकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं जिन्होने प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में मेरिट में स्थान नहीं बना सके। अपनी अयोग्यता को छुपाने का बड़ा यंत्र दुसरों पर दोषारोपण करना होता है ऐसे अस्त्रों का भीड़ में इस्तेमाल करना आसान होता है क्योंकि कोई यह नहीं देख पाता कि भीड़ में पत्थर कौन फेंक रहा है, और किसके उकसाने पर इस्तेमाल हो रहा है।

भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य में भर्ती किये जाने कि अनुमति प्रदान करने के एक माह से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चयनित उम्मीदवारों की पदस्थापना नहीं की गई है। इससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार भी कमो-बेष झूठे, अनर्गल, आधारहीन और तथ्यहीन षिकायत करने वालों के पक्ष में खड़ी है। दो-दो तीन-तीन साल मेहनत करने के बाद कोई उम्मीदवार राज्य सेवा के पद पर चयनित होता है। चयनित होने के बाद पदांकन के लिए प्रतीक्षा में समय बिताना कितना कठिन होता है, यह मेहनत करने वाला ही समझ सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि ऐसे आधारहीन षिकायतों पर ध्यान न देते हुए विभिन्न पदों पर चयनित उम्मीदवारों का तत्काल पदांकन कर कमजोर वर्ग के साथ होने का परिचय दें।

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