शब्द शास्त्र भी हैं, शब्द शस्त्र भी हैं और ब्रह्म भी: कोठारी

Acharya Kothari: संप्रेषण हो या अभिव्यक्ति, दोनों के मूल में शब्द हैं। शब्द शास्त्र भी हैं, शब्द शस्त्र भी हैं और शब्द ब्रह्म भी हैं। मायने रखता है कि आप बुद्धि से बोलते हैं या मन से। ये बातें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक आचार्य कोठारी ने शुक्रवार को रायपुर में कही। वे छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की जयंती पर समता कॉलोनी स्थित महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल कॉलेज में आयोजित पत्रकारिता के पुरोधा कर्पूर चंद्र कुलिश व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए।

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कोठारी ने कहा, संप्रेषण के लिए दो बातों को समझना जरूरी है। एक व्यक्ति का स्वरूप यानी उसका शरीर और दूसरी आत्मा। आत्मा मरती नहीं तो माता-पिता उसे पैदा भी नहीं कर सकते। जिसे पैदा किया जाता है, वह संप्रेषण करना नहीं जानता।

बुद्धि सूर्य और मन चंद्रमा

बुद्धि सूर्य से मिलती है। उसमें उष्मता है। वह तोडऩे का काम करती है। दूसरों को परिमार्जित करने का प्रयास करती है। मन चंद्रमा से आ रहा है। वह शीतल है, बांधने का काम करता है। उसमें ममता है, करूणा है। (Acharya Kothari)

आयोजन छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान ने किया था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकायुक्त टी पी शर्मा। उन्होंने पत्रकारिता और साहित्य के संबंध को समाज के लिए आवश्यक बताया। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता निर्मल शुक्ल ने विधि को जोड़ कर पत्रकारिता के अनेक उदाहरण दिए। प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष डॉ सुशील त्रिवेदी ने स्वागत भाषण दिया। संरक्षक विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि श्री कोठारी धर्म, अध्यात्म, साहित्य और पत्रकारिता के श्रेष्ठ अध्येता हैं। (Acharya Kothari)

अतिथियों का स्वागत जस्टिस अनिल शुक्ला, डॉ सुरेश शुक्ला, अरविंद मिश्रा, अजय तिवारी, डॉ देवाशीष मुखर्जी आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुधीर शर्मा महासचिव ने किया और वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ लक्ष्मीशंकर निगम ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान कई लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे। (Acharya Kothari)

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