गुजरात और राजस्थान के लिए मिला 10 लाख दीयों का ऑर्डर, मिट्टी के दीए की महत्ता आज भी बरकरार

Diyon Ka Order: दुर्ग के शहरी गौठान में स्व सहायता समूह की महिलाएं बड़ी संख्या में दीवाली के दीयों और अन्य सामग्री के निर्माण कार्य में लगी हुई हैं। इन्होंने दीयों की सजावट पर और इनकी गुणवत्ता पर काफी मेहनत की है इसका सकारात्मक परिणाम उन्हें मिला है। राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों से इनके दीयों के लिए ऑर्डर आए हैं और अब तक दस लाख दीयों के ऑर्डर यहां काम कर रही समूह की महिलाएं ले चुकी हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि अब तक 35 हजार दीये डिस्पैच भी कर चुकी हैं। इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए गौठान समिति की अध्यक्ष गायत्री डोरे ने बताया कि हमारे समूह को गुजरात और राजस्थान के लिए आर्डर मिले हैं।

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एक दीया तीन रुपए में बेच रही हैं। गायत्री ने बताया कि यहां पर प्रशिक्षित लोग हैं, जिन्होंने गोबर के दीयों को आर्टिस्टिक रूप से सजाया है। इसकी वजह से इनकी सुंदरता खूब निखर गई है और अच्छी डिमांड आ रही है। इसके साथ ही वे धूपबत्ती भी तैयार कर रही हैं, जिसमें 15 प्रकार की जड़ीबूटियों का उपयोग हो रहा है। पंचदीप थाली का निर्माण भी उनके द्वारा किया जा रहा है। बता दें कि दुर्ग शहर में दीपावली के स्थानीय उत्पादों के विक्रय के लिए बिहान बाजार भी लगाया गया है। बिहान बाजार में स्थानीय उत्पादों की धूम है और बड़ी संख्या में लोग यहां से सामग्री खरीद रहे हैं। (Diyon Ka Order )

जिस प्रकार मिट्टी की खुशबू बरकरार है, उसी प्रकार मिट्टी के दिये की भी महत्ता बरकरार है। मिट्टी के दिये के उपयोग से लोगों को संतुष्टि मिलती है। इसे दृष्टिगत रखते हुए जिले में मिट्टी के काम करने वाले कुंभकार आज भी बड़ी मात्रा में मिट्टी के दियों का निर्माण कर रहे हैं। मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने जिला मुख्यालय में स्थित कुम्हारपारा में शंकर कुंभकार और संतोष कुंभकार के घर पहुंचकर मिट्टी के दिये बनाने की विधि का बारीकी से अवलोकन किया और लागत मूल्य, विक्रय से होने वाली आमदनी के संबंध में जानकारी ली। (Diyon Ka Order)

वहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति को सहेज कर रखने वाले कुंभकारों के कार्यों की सराहना की और उनसे मिट्टी के दिये खरीदकर दिये की राशि का भुगतान कर उनका उत्साहवर्धन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दीपावली त्यौहार छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति से जुड़ा हुआ प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार में प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में दिये जलाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कुंभकार समाज बहुत मेहनती समाज है। उनमें काफी प्रतिभा और हुनर होता है।

दीए के साथ बहुत सुंदर मूर्तियों सहित अन्य सामग्रियों का भी निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कुम्भकारों एवं मिट्टी शिल्पियों के आर्थिक एवं तकनीकी विकास के लिए छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड का गठन किया है। इसके माध्यम से पारंपरिक माटी शिल्पियों के सर्वागीण विकास के लिए प्रशिक्षण, औजार, उपकरण सहायता, कार्यशाला अनुदान सहायता, अध्ययन प्रवास आदि के संबंध में जानकारी दी जा रही है, ताकि उनमें उद्यमिता कौशल विकास हो सकेगा।  (Diyon Ka Order)

कलेक्टर ने कुंभकारों के परंपरागत व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए जिले के प्रत्येक नागरिकों से दीपावली त्यौहार में मिट्टी के दिए सहित मिट्टी के अन्य सामग्री कुंभकारों से खरीदने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने छोटे व्यापारियों से भी लाई बताशा खरीदकर उन्हें प्रोत्साहित करने कहा। उन्होंने कहा कि इससे कुंभकार परिवारों और छोटे व्यापारियों को संबल मिलेगा और उनका बेहतर जीवकोपार्जन हो सकेगा। उन्होंनेे धनईया बाई की मांग पर उन्हें तत्काल मिट्टी के सामग्री निर्माण हेतु चाक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। (Diyon Ka Order)

उन्होंने टेराकोटा निर्माण विधि सीखने के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण शाला आयोजित करने की भी बात कही।
 कलेक्टर से चर्चा के दौरान शंकर कुम्भकार ने बताया कि विगत 10 सालों से वे मिट्टी सेे विभिन्न सामग्रियों का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 01 हजार दीए बनाते हैं। इसे बनाने से लेकर बाजार में विक्रय तक तीन से चार दिनों का समय लगता है। इससे उनके परिवार को जीविकोपार्जन हो जाता है। वे अपने इस कार्य से काफी खुश हैं। इस अवसर पर संयुक्त कलेक्टर नवीन भगत सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे। (Diyon Ka Order)

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