हम तो मिलते रहते हैं, पीएम मोदी के घर आने में कुछ गलत नहीं था : CJI चंद्रचूड़

Chief Justice D.Y. Chandrachud : रिटायर होने से ठीक पहले चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने साफ कहा है कि गणपति पूजा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उनके घर पर आने में कुछ भी गलत नहीं था. उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर राजनीतिक हल्कों में परिपक्वता की भावना की जरूरत है. सीजेआई ने प्रधानमंत्री के उनके आवास पर आने के बारे में कहा, ‘प्रधानमंत्री गणपति पूजा के लिए मेरे घर आए. इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सामाजिक स्तर पर न्यायपालिका और कार्यपालिका से जुड़े व्यक्तियों के बीच निरंतर बैठकें होती हैं. हम राष्ट्रपति भवन में, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं. हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों से बात करते हैं. इस दौरान उन मामलों पर बात नहीं होती, जिनपर हमें फैसला लेना होता है, बल्कि सामान्य रूप से जीवन और समाज से जुड़े मामलों पर बात होती है.’

‘यह मतलब नहीं है कि दोनों मिल नहीं सकते’
प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice D.Y. Chandrachud) ने कहा कि किसी को भी मजबूत अंतर-संस्थागत तंत्र के हिस्से के रूप में हुई बातचीत का सम्मान करना चाहिए और न्यायपालिका व कार्यपालिका के बीच शक्तियों के विभाजन का यह मतलब नहीं है कि दोनों मिल नहीं सकते। उन्होंने कहा, ‘शक्तियों के विभाजन का मतलब यह है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका की भूमिका नहीं निभानी चाहिए, जो नीतियां निर्धारित करती है, क्योंकि नीति बनाने की शक्ति सरकार के पास है।’

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उन्होंने कहा, ‘इसी तरह कार्यपालिका मामलों का फैसला नहीं करती है। इसलिए जब तक हम इसे ध्यान में रखते हैं। संवाद होना चाहिए, क्योंकि आप न्यायपालिका में लोगों के करियर और जीवन से निपट रहे हैं।’ सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संवाद का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि मामलों का फैसला कैसे किया जाता है। सीजेआई ने कहा, ‘यह मेरा अनुभव रहा है।

राम मंदिर फैसले वाले बयान पर दिया जवाब
अयोध्या में राम मंदिर मामले के समाधान के लिए उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी, अपने इस बयान पर जस्टिस चंद्रचूड़ (Chief Justice D.Y. Chandrachud) ने कहा कि वह आस्थावान व्यक्ति हैं और सभी धर्मों का समान रूप से आदर करते हैं। 2018 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस करने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि संस्थागत अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए। अगले प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के संबंध में उन्होंने कहा कि वह शांत व्यक्ति हैं और गंभीर टकराव की स्थिति में भी मुस्करा सकते हैं। उनकी (जस्टिस चंद्रचूड़) सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत सुरक्षित हाथों में है।

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