बच्चे देश के भविष्य को आकार देंगे, उनकी सुरक्षा और संरक्षण जरूरी: चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा

Chief Justice Ramesh Sinha: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के किशोर न्याय कमेटी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक एकेडेमी के सहयोग से उच्च न्यायालय के ऑडिटोरियम में आयोजित ‘विधि के साथ संघर्षरत बच्चों के अपराध निवारण, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, परिवर्तन और उनके निरोध के विकल्प’ विषय पर आयोजित 8वें राज्य स्तरीय कन्सलटेशन के शुभारंभ हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की संपत्ति है, जो देश के भविष्य को आकार देंगे। समाज के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में हमें उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता है।

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उन्होंने कहा कि किशोरों को अपराध करने से रोकना समाज में अपराध की रोकथाम का एक अनिवार्य हिस्सा है और पुनर्वास प्रक्रिया इतनी ठोस हो सकती है कि उन्हें दोबारा विधि के साथ संघर्ष में आने से रोका जा सके। राज्य की भूमिका उस बच्चे के माता-पिता के रूप में कार्य करना है जिसे पुनर्वास की आवश्यकता है। साथ ही इसकी कार्रवाई बच्चे के सर्वाेत्तम हित में होनी चाहिए।  हमारे बच्चों को स्कूली शिक्षा के प्रारंभ से ही नैतिक और मूल्य आधारित शिक्षा देना आवश्यक है। बाल संरक्षण गृहों में भी यह आवश्यक है कि हम अपने बच्चों को समाज का उपयोगी सदस्य और देश का जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न करें। (Chief Justice Ramesh Sinha)

उन्होंने कहा कि आज का परामर्श कार्यक्रम बेहद सफल होगा और बच्चों के लिए एक हिंसा मुक्त समाज की स्थापना और प्रचार-प्रसार में काफी सहायता मिलेगी, जहां वे अपने बचपन का आनंद लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। कार्यशाला को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के क्रियान्वयन में हमें अथक प्रयास की आवश्यकता है। हमें बाल अपराधियों की मानसिक स्थिति को समझना चाहिए। बच्चे भगवान के उपहार हैं। उनको सही दिशा देकर समाज में कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति बना सकते हैं। ईश्वर की असीम कृपा से हम इतने काबिल हैं कि हमें उन बच्चों की प्रगति के लिए अथक प्रयास करना चाहिए। (Chief Justice Ramesh Sinha)

कार्यशाला को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक एकेडमी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल ने कहा कि भारत देश का भविष्य आज के बच्चे ही हैं। ऐसे में उनके भविष्य के लिए हमें अथक प्रयास करते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए, जो समाज को एक नया आयाम प्रदान करेगा। कार्यशाला का स्वागत उद्बोधन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के किशोर न्याय सेल के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल द्वारा कहा गया कि बच्चे विभिन्न कारणों से विधि का उल्लंघन कर सकते हैं। साक्ष्य दर्शाता है कि इनमें से अधिकांश बच्चे वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं और ये ऐसे बच्चे भी हैं जिन्हें देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता है। (Chief Justice Ramesh Sinha)

यह, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विधिक ढांचे द्वारा बच्चों को दी जाने वाली विशेष सुरक्षा के साथ, रोकथाम, पुनर्वास और पुनर्स्थापनात्मक न्याय प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करने और किशोर न्याय अधिनियम के न्याय समेत सुरक्षा प्रावधानों के मध्य संबंध सुनिश्चित करने का आग्रह करता है। पिछले दशक में समाज में तेजी से आए परिवर्तनों को देखते हुए भारत में बच्चों को दोतरफा सुरक्षा की आवश्यकता है। जहां बच्चे के उचित पालन-पोषण के लिए पारिवारिक माहौल प्रदान करके उन्हें शारीरिक रूप से बलवान, मानसिक रूप से सतर्क, शैक्षणिक रूप से प्रतिभाशाली बनाने के लिए उनके समग्र विकास के लिए बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान की जानी चाहिए। (Chief Justice Ramesh Sinha)

इस अवसर पर किशोर न्याय समिति द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘नवचेतन’ का विमोचन किया गया जिसे उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। शुभारंभ सत्र में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, न्यायमूर्ति रजनी दुबे, न्यायमूर्ति नरेश कुमार चन्द्रवंशी, न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत, न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय, न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल और न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल विशेष रूप से उपस्थित थे। इसके साथ ही कार्यशाला में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल अरविंद कुमार वर्मा और विधि विभाग के प्रमुख सचिव रजनीश श्रीवास्तव मौजूद रहे। (Chief Justice Ramesh Sinha)

उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार विजिलेंस सुधीर कुमार, रजिस्ट्रार (न्यायिक) के. विनोद कुजूर, कम्प्यूटर शाखा के रजिस्टार शक्ति सिंह राजपूत, अन्य रजिस्ट्री के न्यायिक अधिकारी और राज्य न्यायिक एकेडमी के अतिरिक्त निदेशक हरीश अवस्थी, गरिमा शर्मा और एकेडमी के अन्य न्यायिक अधिकारीगण, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव आनंद प्रकाश वारियाल, किशोर न्याय सेल के सचिव देवेन्द्र कुमार, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के पूर्व सचिव प्रशांत पराशर उपस्थित रहे। कार्यशाला के शुभारंभ सत्र के बाद दो तकनीकी सत्र में आयोजित किए गए, प्रथम सत्र की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल, न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय ने की।

अतिरिक्त मुख्य सचिव रेणु गोनेला और महिला एवं बाल विकास विभाग के विशेष सचिव पोषण चन्द्राकर की अध्यक्षता में और द्वितीय सत्र की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल, न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति  राकेश मोहन पांडेय, शिक्षा विभाग की प्रबंध निदेशक इफ्फत आरा, गृह विभाग के सचिव बसवराजू एस. और छत्तीसगढ यूनिसेफ प्रमुख जॉब जाकरिया की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें किशोर न्याय और बाल अपराधों से संबंधित विभिन्न विषय समेत समस्याओं, उसके निदान पर उपस्थित सर्वसंबंधित विभागों के द्वारा प्रस्तुतिकरण दिया गया।

कार्यशाला का आभार प्रदर्शन राज्य न्यायिक एकेडेमी की अतिरिक्त निदेशक हरीश अवस्थी के द्वारा एवं मंच संचालन अतिरिक्त निदेशक गरिमा शर्मा द्वारा किया गया। कार्यशाला में विशेष रूप से बाल अधिकार संरक्षण आयोग से सोनल कुमार गुप्ता, कौशल विकास विभाग से ज्योति गुग्गल, पुलिस विभाग से डीआईजी मिलेना कुर्रे और पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह उपस्थित थे। कार्यशाला में प्रतिभागी के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान न्यायाधीश, सामाजिक सदस्य, बाल कल्याण समिति के अध्यक्षगण और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी उपस्थित रहे। (Chief Justice Ramesh Sinha)

जिला बाल सुरक्षा अधिकारीगण, विधि अधिकारी, जिलों के काउंसलर, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, महिला एवं बाल विकास विभाग, गृह विभाग, पुलिस विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, स्कूल विभाग, कौशल विकास विभाग, यूनिसेफ के प्रतिनिधिगण, बाल सम्प्रेक्षण गृह के विजिटर, विशेष किशोर पुलिस ईकाई के अधिकारीगण, विधि के छात्रागण बढ़ी संख्या में उपस्थित रहे। बता दें कि उच्चतम न्यायालय के बाल कल्याण समिति के द्वारा सितंबर महीने 2023 में नई दिल्ली में ‘विधि के साथ संघर्षरत बच्चों के अपराध निवारण, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, परिवर्तन और उनके हिरासत के विकल्प’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। इस परिपेक्ष्य में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के किशोर न्याय सेल के द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। (Chief Justice Ramesh Sinha)

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