Uttarakhand Uniform Civil Code Bill : उत्तराखंड में आज कैबिनेट की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में यूसीसी के मसौदे को मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद विधानसभा में पेश कर कानून बनने के लिए भेज दिया जाएगा। उत्तराखंड सरकार की ओर से गठित समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने वाली जस्टिस रंजना देसाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। शनिवार को धामी कैबिनेट की बैठक में रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के आसार हैं। इसे छह फरवरी को विधानसभा में पेश किया जा सकता है। कमेटी की सिफारिशों को मान लिया जाता है तो उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य होगा।
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सूत्रों ने बताया कि 800 पन्नों की रिपोर्ट में हलाला, इद्दत, तीन तलाक को सजा योग्य अपराध बताने की सिफारिश की है। इसके साथ ही सभी धर्मों की महिलाओं के लिए पैतृक संपत्ति में समान अधिकार, शादी और तलाक के लिए एक जैसे नियम, बहुविवाह पर रोक जैसे प्रावधानों की सिफारिश की गई है। खास बात यह है कि यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण कानून को शामिल नहीं किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों यूसीसी के मुद्दे पर कहा था कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने कमेटी बनाई है। इसका काम समाप्त होने के कगार पर है। मुख्यमंत्री ने कहा भी है कि जल्द लेकर आएंगे; अच्छा ही होगा। (Uttarakhand Uniform Civil Code Bill)
जो कहा सो किया..जनहित सर्वोपरि.. #UCCInUttarakhand pic.twitter.com/g9mWvq0k2o
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) February 2, 2024
ये हो सकते हैं प्रावधान
1. हलाला, इद्दत, तीन तलाक सजा योग्य अपराध।
2.धर्मों में शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 होनी चाहिए। (देश में शादी के लिए निर्धारित उम्र 18 और 21 ही है। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ यौवन प्राप्त कर चुकी किसी भी लड़की की शादी के योग्य मानता है।)
3. एक से अधिक विवाह पर रोक की भी सिफारिश। अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी के दायरे से छूट का सुझाव।
4. विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
5. पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे।
6. लिव इन रिलेशनशिप के मामले में रजिस्ट्रेशन/सेल्फ डिक्लरेशन को अनिवार्य किया जाए।
7. उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा।
8. नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
9. पत्नी की मृत्यु होने पर उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
10. सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी। बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसान होगी। (Uttarakhand Uniform Civil Code Bill)