
Bhakt Mata Karma: गरियाबंद जिले के सामाजिक कार्यकर्ता रूपसिंग साहू ने जिले और प्रदेशवासियों को भक्त माता कर्मा जयंती की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि, माता कर्मा भक्ति, सेवा, त्याग और समर्पण की प्रतीक हैं। वे तैलिक (साहू) समाज की आराध्य देवी हैं, जिनकी गौरव गाथा हजारों सालों से जन-जन के हृदय में श्रद्धा और भक्ति के भाव से पूजित है।
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रूपसिंग साहू ने बताया कि माता कर्मा देवी का जन्म पापमोचनी एकादशी पर हुआ था। इस वर्ष उनकी जयंती 25 मार्च 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। ऐतिहासिक प्रमाणों और लोकगीतों के अनुसार, माता कर्मा देवी का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी नगर में चैत्र कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी पर प्रसिद्ध तेल व्यापारी राम शाह जी के घर हुआ था। और उनका विवाह मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के नरवरगढ़ निवासी चतुर्भुज शाह से हुआ था। (Bhakt Mata Karma)
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बचपन से कृष्ण भक्ति में लीन रहीं माता कर्मा
बाल्यकाल से ही माता कर्मा को धार्मिक कथाओं में विशेष रुचि थी। धीरे-धीरे उनकी भक्ति भावना प्रबल होती गई और वे श्रीकृष्ण के भजन-पूजन व ध्यान में लीन रहने लगीं। उनके पति पूजा-पाठ को अंधविश्वास मानते थे, लेकिन माता कर्मा समाज सेवा और धर्म-कर्म में पूर्ण समर्पित थीं। (Bhakt Mata Karma)
सामाजिक कार्यकर्ता रूपसिंग साहू कहते हैं कि माता कर्मा देवी ने जगन्नाथ पुरी में समुद्र किनारे रहकर लंबे समय तक अपने आराध्य श्रीकृष्ण को खिचड़ी का भोग लगाया। उनकी भक्ति का यश पूरे समाज में फैला और वे मां यशोदा की भांति भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का आनंद लेती रहीं।रूपसिंग साहू ने माता कर्मा देवी की जयंती पर समाज को एकजुट होकर उनके आदर्शों का अनुसरण करने की अपील की। (Bhakt Mata Karma)