रायपुर । छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में परंपरागत व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर उन्हें एक बार फिर नवजीवन प्रदान करने के लिए बड़ी पहल की गयी है। लोहारी, रजककारी, तेलघानी और चर्मशिल्प जैसे व्यवसाय हमारे ग्रामीण जनजीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। शहरीकरण, औद्योगीकरण और बाजारीकरण के दौर में इन व्यवसायों का महत्व धीरे-धीरे कम होता गया। दक्षता के बावजूद इनसे जुड़े लोग अपने परम्परागत कार्यों से दूर होते गए। जीवकोपार्जन के लिए रोजगार और आय का जरिया जुटाना उनके लिए बड़ी चुनौती बन गया, इसलिए वे दूसरे काम-धंधों को अपनाने लगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने इन व्यवसायों से जुड़े लोगों की यह विवशता पूरी संवेदनशीलता के साथ महसूस की और इन व्यवसायों को पुनर्जीवन देने का बड़ा फैसला लिया। आज भी ग्रामीण अंचलों में इन व्यवसायों में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। इसलिए राज्य सरकार द्वारा पराम्परागत व्यवसायों को मदद देकर प्रोत्साहित करने के लिए चार बोर्डों छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड और छत्तीसगढ़ चर्मशिल्प विकास बोर्ड का गठन किया गया है।
व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर
परम्परागत व्यवसायों के लिए गठित किए गए ये बोर्ड अपने अपने क्षेत्र से संबंधित व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर बढ़ाने में योगदान देंगे। छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड लौहशिल्पकारों को, छत्तीसगढ़ तेलघानी विकास बोर्ड तेलघानी को, छत्तीसगढ़ रजककार विकास बोर्ड रजककारों को और छत्तीसगढ़ चर्मशिल्प विकास बोर्ड चर्म शिल्पकारों को स्वरोजगार के लिए मदद देंगे। संबंधित बोर्ड अपने क्षेत्र से जुड़े शिल्पकारों और लोगों को उन्नत प्रशिक्षण, उन्नत उपकरण प्रदान करने के साथ ऋणग्रस्त शिल्पकारों और व्यवसाय में संलग्न लोगों को स्वरोजगार के लिए बैंकों से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।
बोर्ड की तीन वर्ष की कार्य अवधि के पश्चात् बोर्ड स्वमेव समाप्त
राज्य शासन द्वारा गठित इन बोर्डों के संचालक मण्डल में राज्य शासन द्वारा अध्यक्ष तथा चार अशासकीय सदस्य नामित किए जायेंगे। बोर्ड के संचालक मंडल में आवश्यकतानुसार अन्य संबंधित विषय विशेषज्ञों को अशासकीय सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जा सकेगा। राज्य शासन के द्वारा नामंकित अधिकारी बोर्ड के प्रबंध संचालक होंगे। इन सभी बोर्ड का मुख्यालय रायपुर में होगा। राज्य सरकार द्वारा इन बोर्डों के गठन की अधिसूचना के अनुसार विकास बोर्डों की कार्य अवधि तीन वर्ष होगी। बोर्ड की तीन वर्ष की कार्य अवधि के पश्चात् बोर्ड स्वमेव समाप्त माना जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों को वित्त विभाग के प्रचलित नियम और निर्देशों के अनुसार सुविधाएं देय होंगी।
परम्परागत व्यवसायों की गुणवत्ता वृद्धि
विकास बोर्डों द्वारा स्थानीय उपलब्ध संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए अपने क्षेत्र से जुड़े व्यवसाय को अधिक लाभप्रद बनाने और उनसे जुड़े कार्यों के विकास के लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल नीतियों और कार्यक्रम के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे। विकास बोर्डों द्वारा परम्परागत व्यवसायों की गुणवत्ता वृद्धि, समस्याओं और आवश्यकताओं से संबंधित अनुसंधान कार्य तथा व्यवसायों से शिक्षित युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के उपायों के संबंध में भी सुझाव दिए जाएंगे।
प्रदेश में परम्परागत व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरु की गयी पौनी-पसारी योजना के बाद राज्य सरकार द्वारा चार बोर्डों का गठन दूसरी बड़ी पहल है। वंशानुगत रुप से परम्परागत कार्य करने वालों और इन व्यवसायों से जुड़ने वाले लोगों को इन बोर्डों के जरिए जरुरी मदद, उन्नत उपकरण और तकनीकी मार्गदर्शन मिलेगा, जिससे उनके कौशल और कार्यकुशलता में और अधिक सुधार होगा। इन व्यवसायों में अच्छे अवसर निर्मित होंगे, ये व्यवसाय लाभप्रद बनेंगे और जिससे परम्परागत व्यवसायों में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।