Narva Development Program: वन क्षेत्रों में 3 सालों के दौरान 568 डबरी और तालाबों का निर्माण पूरा, वन्यप्राणियों के लिए उपयोगी साबित हो रहे तालाब

Narva Development Program: छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में नरवा विकास कार्यक्रम के तहत कैंपा मद से बीते 3 सालों के दौरान 568 डबरी और तालाबों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। वनांचल में निर्मित ये तालाब वन्यप्राणियों सहित वनवासियों के लिए बहुउपयोगी साबित हो रहे हैं। इनमें साल 2019-20 में कुल स्वीकृत 146 डबरी और तालाबों में से 136 डबरी समेत तालाबों का निर्माण पूरा हो चुका है। इसी तरह साल 2020-21 में कुल स्वीकृत 369 डबरी और तालाबों में से अब तक 258, साल 2021-22 में कुल स्वीकृत 364 में से 174 डबरी और तालाबों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। (Narva Development Program)

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गौरतलब है कि डबरी और तालाब का निर्माण एक आम संरचना है, जो पानी को लंबे समय तक जमा करके रखने-विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल में सबसे उपयुक्त है। यह ज्यादातर निचले क्षेत्र और समतल क्षेत्र में बनता है, जहां प्राकृतिक रूप से पानी रिसकर बारिश से नाली के बहाव से आता है। तालाब काफी समयावधि तक पानी रोककर रखता है और अपने आस-पास के क्षेत्र में काफी देर तक नमी बनाए रखता है। जिन क्षेत्रों में सदाबहार नाले हैं, यह संरचना बहुत उपयोगी है। (Narva Development Program)

बोर में पानी निकलना सामान्य घटना, गैस का रिसाव नहीं

जांजगीर-चांपा जिले का पिहरीद गांव में एक खेत में बोर से निकल रहे पानी और हवा के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा घटना पर नजर रखी जा रही है। प्रारंभिक स्तर पर की गई जांच से स्पष्ट हुआ है कि गांव के एक कृषक द्वारा कुछ माह पूर्व बोर कराया गया था। पानी नहीं निकलने की वजह से उन्होंने बोर को मिट्टी से पाट दिया था। बारिश का समय होने से और मिट्टी धसने से बारिश का पानी पहले ऊपर की ओर बाहर निकल रहा था और हवा भी बाहर आ रही थी। यहां किसी प्रकार के गैस का रिसाव नहीं हो रहा है। PHE के अधिकारियों द्वारा भी मौके का निरीक्षण किया गया है। उन्होंने घटना को सामान्य बताया है। फिलहाल कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देश पर वहां आसपास बेरिकेडिंग कर दी गई है और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं। (Narva Development Program)

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