Trending

Children’s Vaccine: बच्चों के वैक्सीन की कीमतों में भारी गिरावट, अब सिर्फ 250 रु में मिलेगा सुरक्षा का टीका

Children’s Vaccine: कोरोना से बचाव के लिए अभी वैक्सीन ही संजीवनी है। इसी बीच बच्चों को दी जाने वाली कॉर्बेवैक्स वैक्सीन की कीमत कम कर दी गई है। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी बायोलॉजिकल लिमिटेड ने इसकी कीमत 840 से घटाकर 250 रुपए की है, लेकिन सभी टैक्स मिलाकर प्राइवेट सेंटर्स पर ये वैक्सीन 400 रुपए में मिलेगी। पहले ये प्राइवेट सेंटर्स पर 990 की मिलती थी। हालांकि सरकार के वैक्सीनेशन अभियान के तहत स्कूलों में ये वैक्सीन फ्री दी जा रही है।

यह भी पढ़ें:- Rain and Flood: असम में भारी बारिस और बाढ़ से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित, रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी सेना

बता दें कि भारत में 15 मार्च से 12 से 14 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन (Children’s Vaccine) शुरू हुआ है। तब से बच्चों के लिए कॉर्बेवैक्स वैक्सीन का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। उस समय कंपनी ने सरकार के लिए इसकी कुल कीमत 145 रुपए तय की थी। कंपनी ने कहा कि वैक्सीन की कीमत कम करने के साथ हमारा उद्देश्य इसे और ज्यादा किफायती बनाना है। इसके साथ ही बच्चों मे वायरस ज्यादा ना फैले और उन्हें सुरक्षित रखने में मदद करे।

5 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी

वहीं अप्रैल में ड्रग रेगुलेटर ने 6 से 12 साल के बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सिन (Children’s Vaccine) के साथ-साथ 5 से 12 साल के बच्चों के लिए बायोलॉजिकल के कॉर्बेवैक्स को इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन को मंजूरी दी थी। हालांकि कंपनी के मुताबिक मंजूरी से पहले उन्होंने 5-12 और 12-18 उम्र के 624 बच्चों में परीक्षण किए थे। कॉर्बेवैक्स कॉर्बेवैक्स वैक्सीन की दो डोज दी जाती है। जिसे 28 दिनों के गैप में लेना होता है। यानी वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज 28 दिन के बाद ली जाती है। ये पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे 5 साल के बच्चों को लगाने के लिए भी मंजूरी दी गई है।

वैक्सीन ही साबित हो रही संजीवनी

वहीं सरकारी सेंटर्स पर ये वैक्सीन फ्री है। कॉर्बेवैक्स भारत की पहली स्वदेशी रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन (Children’s Vaccine) है। यानी इस वैक्सीन में पूरे वायरस का इस्तेमाल करने की जगह सिर्फ एक हिस्से का उपयोग किया गया है। इस हिस्से का नाम है स्पाइक प्रोटीन। इस प्रोटीन के जरिए ही कोरोना वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करता है। जानकारी के मुताबिक सिर्फ स्पाइक प्रोटीन को शरीर में इंजेक्ट किया जाए तो यह खतरनाक साबित नहीं होता। नतीजतन हमारा इम्यून सिस्टम इस प्रोटीन को पहचानकर एंटीबॉडीज विकसित कर लेता है, जो भविष्य में कोरोना संक्रमण होने पर वायरस से लड़ने में हमारी मदद करती हैं।

16 जनवरी को हुई थी वैक्सीनेशन की शुरुआत

बता दें कि भारत में वैक्‍सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी को हुई थी। पहले चरण में स्‍वास्‍थकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना का टीका लगाया गया। इसके बाद दूसरे चरण की शुरुआत 1 मार्च से हुई थी। दूसरे चरण में 60 साल से ऊपर की उम्र वाले सभी लोगों को वैक्‍सीन दी गई। वहीं गंभीर बीमारी से जूझ रहे 45 साल से ज्‍यादा उम्र वाले लोगों को टीका लगाने की शुरुआत हुई। इधर, 1 अप्रैल से देश में 45 साल से ज्‍यादा उम्र वाले लोगों को वैक्‍सीन लगाया गया। 1 मई से 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को टीका लगा। वहीं देश में 15 से 18 साल तक की उम्र वालों को 3 जनवरी से कोरोना वैक्सीन लगाने कि शुरुआत हुई थी। इसके अलावा 10 जनवरी से हेल्थ वर्कर्स समेत सभी फ्रंट लाइन वर्कर्स को ‘प्रीकॉशन डोज’ डोज देना शुरू किया गया था। अभी बूस्टर डोज कोई भी लगवा सकता है।

Related Articles

Back to top button